बेवफ़ाई
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किससे कहें दर्द अपने दिल का बेवफ़ा है दुनिया सारी.
सोचता हूँ रोकर ही दर्द दूर कर लूँ ,
किसी से न कुछ कहने की इक हसींन भूल कर लूँ ,
साथ नहीं देती ये निगाहें हमारी.
किससे कहें दर्द अपने दिल का बेवफ़ा है दुनिया सारी..
सोंचता हूँ गमों को अपने आगोश में भर लूँ ,
सूखते जख्मों को हरा करने की इक हसींन भूल कर लूँ ,
साथ नहीं देती ये ताकत हमारी.
किससे कहें दर्द अपने दिल का बेवफ़ा है दुनिया सारी..
सोंचता हूँ बेवफाओं से मुहब्बत की प्रीत भर लूँ ,
धोखेबाजी की राहों पर चलने की इक हसींन भूल कर लूँ ,
साथ नहीं देती ये तकदीर हमारी.
किससे कहें दर्द अपने दिल का बेवफ़ा है दुनिया सारी..
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