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कुछ भूल रहा कुछ भूल चुका

बेवफ़ाई
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आप सभी से अनुरोध है की मेरी कविताओं का इस्तेमाल अपने नाम पर कभी न करे क्योंकि ये कवितायेँ सिर्फ मेरी है. और रजिस्टर्ड है. आकाश तिवारी

08/04/2005==11:15 pm

 

कुछ भूल रहा कुछ भूल चुका,
मेरे जख्मो का सागर सूख चुका,
अब तन्हाई की बात न कर,
मै अब तन्हाई से ऊब चुका..

 

जो साथ था वो छूट चुका,
जो प्यार था वो रूठ चुका,
अब बंधन की तू बात न कर,
मै अब हर बंधन से ऊब चुका..

 

जो सपना था वो टूट चुका,
जो अपना था वो रूठ चुका,
अब जीने की तू बात न कर,
मै अब इस जीवन से ऊब चुका.
मै अब इस जीवन से ऊब चुका…

 

 

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