बेवफ़ाई
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25/10/2007==11:20 pm
दो कदम चला गम ही गम मिला.
सब थे बेवफ़ा न कोई हमसफ़र मिला..
सभी ने छीना सुंकू मेरा,किसी का भी न मन भरा.
हंस रहा हूँ फिर भी मै जबकि टूटा हुआ है हौंसला..
दो कदम चला गम ही गम मिला,
सब थे बेवफ़ा न कोई हमसफ़र मिला..
सबको समझा अपना मैंने, न कोई बन सका अपना मेरा.
हैं कदम अब रुकते मेरे,अपनों की तरफ जब चला..
दो कदम चला गम ही गम मिला,
सब थे बेवफ़ा न कोई हमसफ़र मिला..
जख्म थे जो सूखे मेरे,हो गया आज हरा भरा.
याद किया जब उस जगह को,जहाँ था मै पला..
दो कदम चला गम ही गम मिला,
सब थे बेवफ़ा न कोई हमसफ़र मिला..
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