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“दो घूँट शराब की”

बेवफ़ाई
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आप सभी से अनुरोध है की मेरी कविताओं का इस्तेमाल अपने नाम पर कभी न करे क्योंकि ये कवितायेँ सिर्फ मेरी है. और रजिस्टर्ड है. आकाश तिवारी

 

18/07/2008==11:48 PM 

हसीन लम्हों के जश्न मना लीजिये,
अपनों की नफरत भुला दीजिये,
किसी भी मोड़ पर ठहर जाए ये जिंदगी अगर,
दो घूँट शराब की लगा लीजिये..

मस्ती रातों में बेशुमार कीजिये,
लम्हा-लम्हा सपनो में गुजार दीजिये,
किसी भी पल छलक आये आंसू निगाहों से अगर,
दो घूँट शराब की लगा लीजिये..

गैरों पर भी यकीन कर लीजिये,
दूरियों का भी नजदीक जैसा मजा लीजिये,
किसी से भी टूट जाए दिल तेरा ये अगर,
दो घूँट शराब की लगा लीजिये..

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