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निगाहों की शरारत……….एक बार फिर “गज़ल”

बेवफ़ाई
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जालिम निगाहों की शरारत कोई न जाने,
सच्ची दीवानगी के दीवाने को कोई न जाने,
देखो सब जानते हैं मुहब्बत मगर,
जुदाई में दर्दे दिल की आह कोई न जाने..

 

ख़्वाबों की सच्चाई कोई न जाने,
धड़कन की गहराई कोई न जाने,
देखो सब जानते हैं राहों को मगर,
मुसाफिर की राह कोई न जाने..

 

गम के आंसू कोई न जाने,
मुहब्बत के धोखे को कोई न जाने,
देखो सब जानते हैं वफ़ा मगर,
धोखेबाज की बेवफाई कोई न जाने..

 

तन्हाई का साथ कोई न जाने,
आंसुओं का बरसना कोई न जाने,
देखो सब जानते है दिल की तड़पन मगर,
क्यों तड़पता है दिल कोई न जाने..

 

 

 

आशा करता हूँ की आपको मेरी ये ग़ज़ल पसंद आई होगी.बहुत जल्द एक नयी ग़ज़ल के साथ फिर आऊंगा.

आपका

 

आकाश तिवारी

 

आप सभी से अनुरोध है की मेरी कविताओं का इस्तेमाल अपने नाम पर कभी न करे क्योंकि ये कवितायेँ सिर्फ मेरी है और रजिस्टर्ड है.
  

 

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