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गरीब लोग ज्यादा खाते है?

बेवफ़ाई
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सरकार द्वारा महंगाई पर तीन दिनी बैठक के बाद कुछ पहलु उभर कर आये  है जिसमे एक पहलु ये भी है की…”गरीबों के ज्यादा खाने से महंगाई बढ़ी है”…अब यहाँ ये बात साफ़ नहीं हो रही की अगर इंसान गरीब है तो शायद उसको ठीक से 2 वक्त की रोटी भी नहीं मिलती होगी क्योंकि गरीबी का मतलब ही है आभाव अगर गरीब को सबकुछ मिल जाए तो वो गरीब किस बात का……गरीब जितना कमाता है उतना लाता है और भूख से बहुत कम खाता है…..अब हमारी वर्तमान सरकार को ये कौन बताये की गरीब आज और गरीब हो गया है पहले तो गरीब जरूर पेट भर लेता था मगर आज तो पेट भरना एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है…..

 

आज अमीर और गरीब लोगों के बीच इतनी बड़ी खाई बन चुकी है जिसको पाटना बहुत मुश्किल है….कमाने के बाद जब खाने को नहीं बचता तो बचत क्या होगी लोगों ने महंगाई से लड़ने के लिए अपनी जरूरत की चीजों में कटौती कर दी है…आज जो भी समान सस्ते है उनका इस्तेमाल गरीब नहीं करता मगर आजके वक्त में खाद्य पदार्थों की महंगाई ने गरीबों के साथ बहुत भद्दा मजाक किया है और सरकार ने आग में घी डालने का काम किया है जिस देश की सरकार अपने देश के गरीबों को दो वक्त की रोटी न दे पाए वो सरकार बेकार है और ऐसी सरकारों को तुरंत अपना पद छोड़ देना चाहिए….मगर रोज खुलते नए घोटालों से अपना दामन बचाती फिरती सरकार को अब इतना वक्त कहा की गरीबों की तरफ देखे………गरीब पहले गरीब था…….. आज पहले से भी ज्यादा गरीब हो चुका है…….. या यूँ कहें की……..निचला गरीब,   मध्यम गरीब,   अपर गरीब….…एक गरीब वो है जो कुछ कर भी नहीं सकता ,एक अपनी क्षमता से ज्यादा कर नहीं पाता ,एक पूरी कोशिश में लगा रहता है और बहुत मेहनत करता है शायद जान लगा देता है…  मगर है सब गरीब……..गरीबों को खाने को नहीं मिल रहा है और ये कहते है की गरीब ज्यादा खाने लगा….गरीबों की गरीबी का सबूत चाहिए तो मै कुछ उदाहरण दिए देता हूँ………

 

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एक गरीब जो दिनभर रास्ते से पोलिथीन,प्लास्टिक,लोहा बिनकर बाजार में बेचता था पहले उसकी कमाई रोज की 50 रुपये हो जाती थी…एक रिक्शा चलाने वाला जो की दूसरों का बोझ उठाता है अपना घर बार छोड़ के आता है और रिक्शा चलाता है पहले उसकी रोज की कमाई 70 रूपये थी……
प्लास्टिक बिनने वाला पहले पचास रूपये में आटा चावल दाल और सब्जी==7 +8 +10 +5 ===लगभग 30 -40 रूपये का खाना खाता था …ऐसा ही रिक्शा वाला करता था मगर रिक्शा वाले को पैसे बचा कर घर भेजना पड़ता था इसलिए रिक्शा वाला हमेशा कम ही खाता था,खाता है…..मगर आज दोनों की आमदनी कुछ ख़ास नहीं बढ़ी जहा प्लास्टिक बिनने वाला 50  से 65  रूपये कमाने लगा वहीँ रिक्शा वाला सौ रूपये………….मगर दोनों आज पेट भर कर नहीं खा पाते क्योंकि…आटा चावल दाल सब्जी….17 +14 +25 +25 ==लगभग 80 -90 रूपये…अब हम कैसे मान ले की 60 रूपये किलो की प्याज गरीब खाता होगा उसको तो बहुत मुश्किल से किसी तरह पेट भरना है.लेकिन गरीब ज्यादा खाता है ऐसा वही बोल सकते हैं जिसने या तो गरीब न देखा हो या गरीबी………….

  

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आज के वक्त में जब मध्यम वर्गीय लोगो के घर में खाने पीने की चीजों में भारी कटौती हो गयी है जहा लोग रोज अपने मन पसंद की चीजे खाते थे आज वो चीजे हफ्ते में एक बार नसीब हो जाए तो बहुत बड़ी बात है और फिर ये कहना की गरीब ज्यादा खाने लगा  कितना शर्मनाक बयान है.
चलिए हम मान भी लेते हैं की गरीब पेटभर खाने लगा तो क्या ये सरकार को पसंद नहीं आ रहा…… क्या सरकार गरीबों की थाली से दाल-रोटी कम करके अमीरों की थाली सजाना चाहती है……..चाहती ही नहीं बल्कि कर भी रही है अगर ऐसा न होता तो प्याज दो महीने से पचास से उप्पर न बिकती, दाल नब्बे पार न होती सबसे सस्ता मिलने वाला आटा बीस रूपये में न बिकता ये वही आटा है जो सरकारी गोदामों के बाहर सड़ता है जानवर खाते है….और सरकार इनका रख-रखाव नहीं कर पाती बाद में यही गेहूँ आराम से बियर कम्पनी में चला जाता है और अमीरों का शौक पूरा करता है..अगर ऐसा न होता तो सरकारी गल्ले की दुकान में गेहूं की भरमार होती.

 

 

मुझे नहीं लगता की मुझे ज्यादा उदाहरण देने की आवश्यकता है क्योंकि महगाई आज के समय में हर घर का मुद्दा है बच्चा-बच्चा जान रहा है की महंगाई ने सबकी कमर तोड़ रख्खी है गरीबों की रोटी छीनी है ऐसे वक्त में ऐसा बयान सिर्फ हताशा दर्शाता है…..लाखो करोड़ों का घोटाला करने वाले क्या जाने एक गरीब आदमी के पेट की बात……..जिस सरकार में ऐसे लोग है जिनको ट्रेन में सफ़र करने वाले जानवर नजर आते है.जिस सरकार में करोड़ों का नहीं लाख करोड़ों का घोटाला करने वाले हो जिसने कभी गरीबी नहीं देखी वो क्या जाने गरीब क्या खाता है कितना खाता है………

 

वास्तविकता यही है की भ्रष्ट तौर तरीकों को संरक्षण देने के फेर में इस सरकार को इतना होश नहीं की कब -कहा -क्या फैसला लिया जाए….क्या बयान दिया जाए……..

 

 

 

 

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…..भारत मे गरीब आज भी भूखा सोता है…..

 

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गरीब आकाश तिवारी

 

 

 

 

 

 

**आप इस बयान पर क्या कहेंगे**

 

 

 

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