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आधुनिक प्रेम और माँ का करुण कृन्दन….. सत्य कथा?

बेवफ़ाई
बेवफ़ाई
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आज इस आधुनिक युग में जिस तरह से सब कुछ बदल गया है उसी तरह से प्रेम की परिभाषा भी बदल गयी है……आज के वक्त में युवा प्यार को पार्ट टाइम जॉब की तरह देखते है आज इसके साथ कल उसके साथ..मगर आज के वक्त में भी कुछ लोग ऐसे है जो न केवल सच्चा प्रेम करते हैं बल्कि प्रेम की परिभाषा भी भली भाँती जानते है…….मगर जब इनका जोड़ा गलत बनता है तो एक भयानक दृश्य बन जाता है…जब प्रेम में संवेदनशील लड़का/लड़की एक आधुनिक लड़का/लड़की जो की प्रेम को खेल समझते है से प्यार करते है तो उनके साथ सिर्फ धोखा ही होता है क्योंकि आधुनिक तो केवल समय व्यतीत करता है और आगे बढ़ता है मगर संवेदनशील तो प्यार करता ही जाता है और अपने प्रेमी को ही सबकुछ समझ बैठता है………मगर जब यही आधुनिक प्रेमी सच्चे प्रेमी से कहता है………”यार मै अब इस तरह से रोज-रोज तुमसे मिलते-मिलते बोर हो चूका/चुकी हूँ..अच्छा होगा हम तुम अपना रास्ता अलग-अलग कर ले……..ये शब्द आधुनिक प्रेमियों के लिए तो सिर्फ कहने की बात है मगर ये बाते जब एक सच्चा प्यार करने वाला सुनता है तो फिर उसकी तो दुनिया ही खत्म हो जाती है……एक सच्चा आशिक कभी भी अपने प्रेमी को नुकसान नहीं पहुंचा सकता मगर खुद को कभी सुख नहीं दे सकता और यही से शुरू होती है उसकी बर्बादी की कहानी……………………………………..

बात कुछ साल पुरानी है तब शायद मै ग्यारहवीं में पढता था…..मेरे कालेज का बारहवीं का एक छात्र राज (काल्पनिक नाम) गाव का लड़का था और शहर में एक मकान में बहुत सालों से किराए पर रहता था… एक लड़की प्रिया (काल्पनिक नाम) को बहुत-बहुत प्यार करता था जो की उसी के एरिया की रहने वाली थी..राज दो सालों से प्रिया से अपने दिल की बात कहना चाहता था मगर अफ़सोस की वो कुछ बोल नहीं पाता था.जब राज ने हाई स्कूल की परीक्षा अच्छे नम्बरों से पास कर ली तो उसका हौसला थोडा बढ़ गया.और ग्यारहवीं में पढ़ते हुए उसने प्रिया से अपने प्यार का इजहार कर दिया….प्रिया ने उसको हफ्तों अपने जवाब के लिए इन्तेजार करवाया और अंत में उसने भी राज को I LOVE YOU कह दिया….प्रिया ने ये फैसला किसी दबाव और जोर-जबरदस्ती में नहीं लिया था बल्कि उसने तो बाकायदा प्रेम पत्र में लिखा था की ……………….

मेरे प्यारे =Raj =


उस दिन जब तुमने अचानक मुझको प्रपोज किया तो मै कुछ समझ नहीं पायी..मगर कहीं न कही मै तुमको बहुत पसंद करती थी ..हाँ ये सच है की मैंने आज तक तुमको ये बात नहीं बताई की मै भी तुमको बहुत प्यार करती हूँ..डर लगता था सोचती थी की तुम्हारा जवाब क्या होगा…राज मै भी तुमको बहुत-बहुत प्यार करती हूँ…..I LOVE YOU ….


तुम्हारी


प्रिया

इस प्रेम पत्र को पाने के बाद राज की ख़ुशी का ठिकाना न रहा वो इकदम से ख़ुशी में झूम उठा……फिर शुरू हुई रास्ते में आँखों की जुगलबंदी..प्रेम पत्रों का आदान प्रदान ….एक हफ्ता भी नहीं बीता था की मिलने की बात आ गयी प्रिया ने राज से कहा की…………कब तक ऐसे ही लेटर से बात होगी मुझे तुमसे अब मिलना है………ऐसा सुनते ही राज ने उसको एक रेस्टोरेंट में बुलाया दोनों ने बहुत प्यार से रेस्टोरेंट में बैठकर खाया पीया और बातें की………….इस मिलन के बाद राज और प्रिया का प्यार परवान चढ़ गया था.अब राज का मन पढाई में कम लगता था,वो दिन रात प्रिया के बारे में ही सोचता रहता था…रेस्टोरेंट में मिलना तो आम बात हो गयी थी राज ने प्रिया को अपनी पत्नी का दर्जा दे दिया था प्रिया भी उसको बहुत प्यार करती थी….मगर न जाने ऐसी क्या बात थी की प्रिया राज को ज्यादा समय नहीं दे पाती थी.प्रिया पहले अपने काम निपटा लेती थी उसके बाद ही राज को समय देती थी……..

जब भी राज गावं जाता था तो वहा सब उसको बहुत प्यार करते थे क्योंकि वो अपनी माँ-बाप का इकलौता सन्तान था….सब उससे बहुत उम्मीद करते थे राज ने भी अपने माता पिता से कहा था की मै एक दिन अधिकारी बनुगा..घर के हालात ठीक न होते हुए भी उसे किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होने दिया जाता था….न पैसे की कमी न सुविधा की…प्रिया के आने के बाद राज का खर्च बहुत बढ़ गया था…

एक बार राज गाँव से तय समय से एक दिन पहले शहर आ गया था और उसने जब प्रिया से सम्पर्क करना चाहा तो पता चला वो कहीं गयी है….आज राज ने प्रिया को किसी और लड़के के साथ बाइक पर देखा..और फिर उसका प्रिया से बहुत ज्यादा झगड़ा हुआ….प्रिया राज से माफ़ी मांगने के बजाय बहाने बनाने लगी और राज से रिश्ता खत्म करने की धमकी देने लगी…..आज प्रिया का पहली बार ये रंग रूप देखकर राज को बहुत ठेस पहुंची…..फिर दोनों का रिश्ता सामान्य  होने लगा मगर राज को अब चैन कहा वो तो उसी लड़के को खोजने लगा..और बहुत परेशान रहने लगा….अचानक राज को एक दिन गाँव जाना पड़ गया  मगर राज का मन घर में लग नहीं रहा था और वो बहुत जल्दी वहा से लौट आया प्रिया का व्यवहार राज के प्रति दिन पे दिन बिगड़ता गया..फिर इंटर का पेपर आ गया दोनों अपनी-अपनी तैयारी में जुट गए पेपर के दौरान भी राज ने प्रिया को उसी लड़के के साथ बाइक पर बैठकर जाते हुए देखा…अब राज के सारे पेपर ख़राब होने लगे……राज अब दिन रात पेपर के खत्म होने और प्रिया और उस लड़के से मिलने का इन्तेजार करने लगा….पेपर के दौरान उसको अपने घर के हालात की याद नहीं आई….अपने  माँ और बाप की तकलीफ  याद नहीं आई..राज को ये याद नहीं आया की उसका पिता जो सर्दियों में भी फटी चप्पल पहनता और माँ  के पास इतना भी गर्म कपड़ा नहीं होता की वो आग के पास से हट जाए…..राज का मकसद अब शायद बदल चूका था अब उसका मकसद था प्रिया को अपने प्यार का एहसास दिलाना…पेपर खत्म होते ही राज , प्रिया को रेस्टोरेंट ले गया और उससे फिर सब पूंछने लगा….मगर प्रिया कुछ भी नहीं बोलती राज वही रेस्टोरेंट में चाक़ू से अपने हांथो पर कई वार करता है प्रिया राज को रोकने की बजाय वहा से चली जाती है..राज को बहुत दुःख होता है….राज पूरा एक महीना प्रिया को समझाता रहता है..एक दिन प्रिया राज को रेस्टोरेंट बुलाती है और कहती है………….

“यार राज अब मै तुमको रोज-रोज परेशान नहीं करना चाहती….देखो मै तुमसे एक बात कहूँगी मुझे पता है तुमको बुरा लगेगा दुःख होगा लेकिन मुझे आज ये बात बोलनी ही पड़ेगी..राज मै तुमसे ऊब चुकी हूँ तुम जो ये रोज-रोज हांथ काटने का,जलाने का और भी जो नाटक करते हो मुझे बिलकुल पसंद नहीं..ये न करो,वो न करो,इससे न मिलो ,उससे न मिलो….क्या यार तुम मेरे बाप बनने की कोशिस क्यों करते हो……आज से मेरा तुम्हारा रिश्ता खत्म ….मै किसी और से प्यार करने लगी हूँ …….राज:- इसका मतलब तुमने मुझसे प्यार ही नहीं किया?,,,प्रिया:- नहीं, प्यार तो किया मगर तुम्हारी इन हरकतों से मुझे तुमसे नफरत हो गयी,…जो मुझसे प्यार से बोलता है मै उसी से बोलना पसंद करती हूँ…राज:- मगर मै तो तुमसे इसीलिए लड़ता था की तुम दुसरे लड़के के साथ क्यों घूमती हो,और ये भी बता दो की वो खुशनसीब है कौन…प्रिया:- देखो अगर मेरे ज़िन्दगी में कोई ज्यादा दखल दे मुझे बिलकुल पसंद नहीं…..वो लड़का अभिषेक है जिसके साथ मै आती जाती हूँ…..उसको देखो कितना प्यार से मुझसे बात करता है…..मुझे तो पता ही नहीं चला की कब मुझे उससे प्यार हो गया…….अच्छा मै चलती हूँ…….राज (रोते हुए):- जानू अगर तुमने मुझसे कभी भी सच्चा प्यार किया हो तो एक बार अपने जानू की बात सुनती जाओ केवल एक बार………….ए जानू क्या मैंने तुमको कभी सच्चा प्यार नहीं किया,क्या तुम्हे ख़ुशी नहीं दी,मेरी जितनी क्षमता थी तुम्हारे लिए मैंने उससे ज्यादा किया..भूल गयी वो दिन जब तुम अपने ज़िन्दगी की सबसे बड़ी मुसीबत में फस गयी थी तब मैंने ही तुम्हारा साथ दिया था आज इतना पुराना रिश्ता और अपने जानू को पलभर में छोड़ के जा रही हो न जाओ जानू नहीं तो तुम्हारा ये राज अकेला हो  जाएगा  मर जाएगा  जानू..तुमसे अच्छा मुझे कौन जान सकता है जानू मैंने तो कभी दूसरी लड़की की तरफ नजर भी नहीं उठाई तुमने मुझसे प्यार करते हुए दुसरे लड़के को अपना लिया..जानू मै तुमको कुछ नहीं कहूँगा,लडूंगा भी नहीं बस एक बार अपने जानू की बात मान जाओ ,मान जाओ न जानू…..मुझसे ज्यादा ख़ुशी तुमको कोई नहीं दे पायेगा जानू……राज प्रिया का हाँथ पकडे हुए ये सारी बाते बोलते हुए बहुत रोता है….प्रिया.:-तुमने मेरी जो भी हेल्प की उसके लिए धन्यवाद…और मेरे पास तुम्हारी ये फ़ालतू की बाते सुनने का टाइम नहीं है”……

राज को प्रिया की बातों से बहुत धक्का पहुँचता है …वो बहुत रोता है कई रातें सोता नहीं…..दो दिन बाद रिजल्ट आने पर राज फेल हो जाता है और प्रिया पास हो जाती है,राज जब प्रिया को बधाई देने जाता है तो प्रिया उससे बात ही नहीं करती और राज चुपचाप अपने कमरे में वापस आ जाता है………अब राज सोच रहा था मैंने जिसके लिए सबकुछ किया आज वो ही मेरे पास नहीं..मै फेल भी हो गया …माँ बाप को क्या जवाब दूंगा…….क्या करूँ – क्या न करूँ यही सोच रहा था और खूब रो रहा था…………………………………………..

एक दिन …………………………………….एक दिन राज अपने कमरे में पंख्खे से लटकते हुए पाया गया…राज मर चुका था….पुलिस आती है और राज की लाश को उतारती है..और उसके घरवालों को बुलाया जाता है………….घर वालों की स्थिति को तो शब्दों में बयां ही नहीं किया जा सकता….राज ने तो अपने जीवन को एक ही झटके में खत्म कर दिया मगर उसने एक बार भी अपने घर वालों के बारे में नहीं सोचा उसने ये नहीं सोचा की वो अपने माँ बाप की  इकलौती सन्तान है और उसके न रहने पर उनका क्या होगा….क्या उसको उसकी ज़िन्दगी में दूसरी लड़की नहीं मिल सकती थी….आजके आधुनिक दौर में जरूरी नहीं की हर इंसान मानसिक रूप से आधुनिक हो जाए राज प्यार में संवेदनशील था जबकि प्रिया आधुनिक……राज के मरने के बाद प्रिया को बहुत डर लगा कहीं राज ने मरने से पहले उसका नाम तो नहीं लिया….मगर इन आधुनिक लोगों को कौन बताये …..

एक सच्चा प्रेमी अपने इश्क को कभी बदनाम नहीं कर सकता …राज ने भी वैसा ही किया…

उसने सुसाइड नोट में लिखा..

“ज़िन्दगी बहुत बोझिल हो चुकी है….न तो मुझे भूख लग रही है और न ही प्यास लग रही है..पढने में मन नहीं लग रहा मै किसी भी गलत रास्ते पर भी नहीं हूँ मगर न जाने क्यों जीने की इच्छा नहीं हो रही मैंने अपने ज़िन्दगी में जो पाना चाहा मुझे नहीं मिला..शायद मेरे अन्दर कुछ कमी है और जब कमी है तो मुझे जीने का कोई हक़ ही नहीं….आज अगर मै मर जाऊं तो मेरे मरने का ज़िम्मेदार कोई और नहीं सिर्फ मै रहूँगा…मै खुद जीना नहीं चाहता..अपना अंगूठे का निशान और  हस्ताक्षर मैं कागज़ पर कर देता हूँ”….

मै बहुत तकलीफ में हूँ……. माँ …बापू…मुझे माफ़ कर देना”……….


राज

राज की लाश जब उसके गाँव पहुँचती है तो माँ बेहोश होकर गिर पड़ती है..गाँव के लोगों का दिल दहल उठता है………और शायद माँ के दिल से आवाज निकल रही हो…………………………..

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लुट गया ये जहाँ हमारा मेरे दुःख क न रहा ठिकाना..

मन सोच हो रहा था पुलकित जब तू इस धरती पर आएगा..

मेरी डूबती इस नैय्या को तू ही पार लगाएगा,

पर कभी न सोचा था ऐसा की तू ऐसा कर जाएगा,

मेरी हसती इन आँखों में आंसू तू भर जाएगा.

अब आंसुओं को छिपाना है एक बहाना..

लुट गया ये जहाँ हमारा मेरे दुःख क न रहा ठिकाना..



घंटी बजेगी दरवाजे पर मेरा बेटा आएगा,

गले लगेगा मुझसे और मुझसे दुलरायेगा.

मुझसे रूठेगा मुझसे ही मनवाएगा..

पर कभी न सोचा था ऐसा की तू ऐसा कर जाएगा,

मिल जाएगा इस धरती में फिर लौट न वापस आएगा,

अब दरवाजे को देखना है एक बहाना..

लुट गया ये जहाँ हमारा मेरे दुःख क न रहा ठिकाना..

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इस कविता को मैंने एक लड़के के आत्महत्या करने की खबर सुनते ही बनाया था……शायद ऐसा ही उसके साथ हुआ था…..

………..इस तरह के प्यार के बारे में आप क्या कहेंगे…….

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