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मोबाइल का घटता बैलेंस

बेवफ़ाई
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मोबाइल संचार का एक ऐसा साधन जो जो एक दूसरे के सम्पर्क में रहने का सबसे सरल और अब सस्ता उपाय है…आजकल के कम्पटीशन के दौर में जहाँ एक तरफ लोगों को मोबाइल पर सस्ती सुविधाएँ  दी जा रही हैं वही दूसरी तरफ ग्राहक के मोबाइल से बिना किसी कारण के पैसे कम हो जा रहे है…जब ग्राहक कस्टमर केयर से जानकारी लेता है तो पता चलता है की  मोबाइल पर वैल्यू एडेड सर्विस को एक्टिवेट किया गया है….जबकि ग्राहक ऐसा कुछ भी नहीं करता ..आज ये समस्या मोबाइल ग्राहकों की एक गम्भीर समस्या है….पिछले एक दशक में मोबाइल की एक ऐसी क्रान्ति आई है की शायद ही इतना महत्व किसी और वस्तु को मिला हो…..जहाँ एक दशक पूर्व मोबाइल धनि लोगों के लिए हुआ करता था,जिसका इस्तेमाल आम आदमी के बस में नहीं हुआ करता था, आज के वक्त में शायद ही ऐसा कोई साधारण व्यक्ति हो जो मोबाइल से अछूता हो….लोगो की बढती डिमांड,कंपनियों के द्वारा स्कीमों का रेला..ग्राहकों को दूसरी कम्पनी से सस्ती स्कीम देने के चक्कर में कम्पनी को कुछ नुकसान जरूर होता है इसीलिए शायद कम्पनिया आजकल इस तरह के हथकंडे अपना रही है….

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मै खुद इस तरह की समस्या का भुक्तभोगी हूँ……

 

केस 1 :- एक प्रतिष्ठित कम्पनी का सिमकार्ड जो की लाइफटाइम प्रीपेड है और काफी दिनों से उसका इस्तेमाल न के बराबर होता है..मगर जब उस सिमकार्ड को नियमित इस्तेमाल के लिए मोबाइल में लगाया जाता है..स्पेशल टैरिफ डलवाई जाती है और फिर फुल टाकवैल्यू वाली रकम 225 पे 225 पे डलवाकर इस्तेमाल किया जाता है..दो दिनों बाद देखते क्या है की मोबाइल से 30 रुपये गायब जब जांच पड़ताल की जाती है तो पता चलता है की मोबाइल क्रिकेट पैक को हमने एक्टिवेट किया है फिर शुरू हो जाती है बहस की जब हमने इस पैक को एक्टिवेट किया ही नहीं तो हुआ कैसे…घर में टीवी है,इन्टरनेट है,ऑफिस में भी सारी सुविधाएं है तो फिर मै क्यों इसको एक्टिवेट करूँगा..तो उधर से कस्टमर केयर बहुत ही शालीनता से जवाब देता है ..सर आपके नम्बर पर ये सुविधा एक्टिवेट है तो आपने ही किया होगा…फिर हम भी सोचते है की चलो छोड़ो क्या 30 -40 रूपये के लिए झिकझिक करें……

 

केस 2 :-एक बीस रूपये का रीचार्ज कार्ड जिसपर 20 रूपये पर 18 का टाक्वैल्यु लिखा रहता है मगर रीचार्ज करने पर 16 रूपये ही मिलते है…….अब लोग सिर्फ यही सोचकर कुछ नहीं करते की कौन 2 रूपये के लिए परेशान हो मगर ये कंपनी का ग्राहक के साथ धोखा है कानूनन गलत जानकारी छापना गलत है…

 

ऐसी बहुत सी समस्याएं है जो मोबाइल क्रान्ति के साथ उभर कर आई है..

 

मगर अगर ये बात बहुत ही गम्भीरता से सोचा जाए की जब किसी व्यक्ति के मोबाइल पे न ही ऐसी कोई कॉल आई और न ही एस.एम्.एस.फिर आखिर क्रिकेट पैक की सुविधा एक्टिवेट कैसे हो गयी..एक ऐसा मोबाइल जो किसी दूसरे के हाथ में नहीं जाता आखिर ऐसा होता क्यूँ है…

 

आखिर किसी के एक्टिवेट किये बगैर क्रिकेट पैक,एस्ट्रो पैक ,हेल्थ पैक आदि ये सुविधाएं एक्टिवेट कैसे हो जाती है,क्या ये कम्पनी का पैसा कमाने का अलग तरीका है,क्योंकि आगे निकलने की होड़ अच्छी से अच्छी और सबसे सस्ती स्कीम देना कम्पनियों की मजबूरी बन चुकी है और शायद नुकसान होने के चलते कम्पनिया ऐसा कदम उठाती है….अगर इन समस्याओं पर खुलकर कोई आगे आ जाये तो कम्पनी की जावाबदेही बन जाए क्योंकि हर व्यक्ति 10 -5 की बात सोचकर समस्या से मुह मोड़ लेता है मगर यही 5 रुपये कंपनी को एक बड़ी रकम के रूप में मिल जाते है……मैंने अपनी जानकारी में ऐसे सैकड़ों लोगों को देखा है जो इस तरह की समस्या से पीड़ित है…

 

लेकिन हाल ही में आई नम्बर पोर्टबिल्टी की सुविधा लागू हो जाने के बाद कंपनियों को इस तरह के मनमाने काम बंद करने पड़ेंगे वरना जो ग्राहक अपना नम्बर बदलने के दिक्कत के चलते कम्पनियों की हर असुविधा को झेल रहे थे उन्हें अब कंपनी बदलने की आजादी मिलेगी वो भी बिना अपना पुराना नम्बर बदले…ऐसा करके ट्राई ने कम्पनियों द्वारा किये जा रहे मनमाने कम्पटीशन को सही दिशा दी है,जो कम्पनी ग्राहक को संतुष्ट नहीं करेगी वो ग्राहक बिना किसी परेशानी के दूसरी कम्पनी को अपना लेगा..मगर इस सुविधा से कम्पनी की अपनी पहचान अपने नम्बर का महत्व खत्म हो जाएगा….

 

अगर इस तरह की समस्या से आप भी कभी रूबरू हुए है तो यहाँ अवश्य अपनी जानकारी अवश्य बाटें………….

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