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“आज रोज़ डे है” ***जानू लौट आओ न *** मेरी कहानी —– “Valentine Contest”

बेवफ़ाई
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जानू मुझे माफ़ कर देना मै तुम्हारी और अपनी कहानी सार्वजनिक कर रहा हूँ..मुझे उम्मीद है की जागरण ब्लॉग पर मौजूद मेरे सारे प्रशंशक मेरी कहानी पर मजाक नहीं बनायेगे….


प्यार क्या है…प्यार क्यों होता है…क्या इसका जवाब कभी मिला है…..जिसने प्यार को समझा प्यार को पाया वो बहुत खुशनसीब होते है.मगर वो भी प्यार को उतनी गहराई से नहीं समझ सकते….मगर जिसने सबकुछ पाने के बाद अपना सबकुछ खो दिया हो वो ही सच्चे प्यार को समझ सकता है ऐसे लोगों से पूंछो प्यार की क्या जगह होती है ज़िन्दगी में……प्यार ज़िन्दगी बना देता है मिटा भी देता है,प्यार हँसा देता है रुला भी देता है….प्यार में दुनिया बदल देने की ताकत है,प्यार में दुनिया जीतने की भी ताकत है……प्यार सबकुछ कर सकता है…मगर……….सच्चा प्यार.

आज रोज़ डे है और मैंने अपनी राखी (जानू) को एक ख़त लिखा है….


जानू
I LOVE YOU


आज रोज़ डे है भूल गयी…हाँ भूल तो जाओगी ही…जब तुमने मुझे ही भुला दिया तो मेरे साथ बीता हुआ ये छोटा लम्हा क्यों याद करोगी…
जानू एक बात सच-सच बताना क्या तुमको मेरी याद नहीं आती.क्या सुबह -सुबह तुम्हारे कानो में आर्यन नाम नहीं गूंजता…मै तो हमेशा ही सुबह -सुबह तुम्हारे दरवाजे के बाहर खड़ा होकर खुद का नाम ही पुकारता था..और जब तक तुम आखों पर हाँथ फेरते हुए मुझे देख नहीं लेती थी मै वापस भी नहीं जाता था..वो दिन याद है जब तुम अचानक रात को अपने दीदी के यहाँ चली गयी थी और अगले दिन सुबह मै तुम्हारे घर के बाहर  देर तक आर्यन-आर्यन चिल्लाता रहा…मगर तुम नहीं निकली बल्कि अगल-बगल के कई लोग निकल आये थे…बाद में पता चला था की तुम घर पे हो ही नहीं और मै तुमसे नाराज हो गया था…बाद में हम लोग इस बात पर कितना हसे थे…तब आजकी तरह मोबाइल भी नहीं था की हम हर पल एक दुसरे से बात करते…जानू अब मै तुम्हारे दरवाजे की तरफ से नहीं गुजरता क्योंकि जब भी मै उधर से गुजरता था तुम्हारी यादे दिल को चीर देती थी और मेरी आँखे कब भीग जाती थी मुझे खुद भी नहीं पता चलता था…जानू मै तुमको बहुत याद करता हूँ…तुमको ये तो पता ही है की मै तुमसे कितना प्यार करता हूँ …मुझे पता है की तुम मुझको बहुत याद करती हो….मगर लौट के क्यों नहीं आती…तुमको मेरे आंसू बिलकुल भी पसंद नहीं थे…आज जब मेरे आंसुओं से मेरा पूरा रुमाल भीग जाता है तो भी तुम मुझे चुप कराने नहीं आती…ऐसी क्या मजबूरी है जानू…


जानू मुझे आज भी याद है की तुम रोज डे से एक दिन पहले अपनी खिड़की से एक धागा लटका देती थी और सुबह से ही मेरा अपनी खिड़की पे इन्तेजार किया करती थी और मै न जाने कहा-कहा भटक कर तुम्हारे लिए ताजे गुलाब लाता था और धागे में गुलाब और लव लेटर बाँध देता था और तुम उसको ले लेती थी और मुझे भी एक लव लेटर दे देती थी…. मगर जानू अब तुम्हारी वो खिड़की हमेशा बंद रहती है..तुम्हारा वो लव लेटर मुझे आज भी याद है जिसमे….


मेरे प्यारे और होने वाले पति

आज रोज़ डे है और हम तुम रोज की ही तरह दूर-दूर ही रहेंगे……तुम्हारे गुलाब में तुम्हारी तस्वीर देख कर ही काम चलाना पड़ेगा….वो दिन कब आएगा जब हम तुम साथ-साथ घूमेंगे और गोल गप्पे खायेंगे…जब तुम मुझे रास्ते में सारी चीजों के बारे में बताओगे…मुझे डाटोगे,मनाओगे…कब आएगा वो दिन…
I LOVE YOU …

तुम्हारी

राखी


इस लेटर को पाने के बाद मैंने शाम को ही तुम्हारी ख्वाहिस पूरी की थी और हम तुम साथ-साथ  घूमने गए थे…गोल गप्पे खाए थे और पैसे तुमने दिए थे…..और तुमने कहा था…जब कमाने लगना तभी तुम्हारा खर्च करवाउंगी…बहुत जिद्दी हो तुम…


जानू आज भी मैंने हमेशा की तरह तुम्हारे लिए लाल और ताजा गुलाब खरीद लिया है…और तुम्हारे इन्तेजार में बैठा हूँ…आज मैंने सारे कामो से छुट्टी भी ले ली है…मुझे पता है की तुम जरूर आओगी…मगर जानू बहुत देर हो रही है….तुम न जाने कब आओगी देखो ये गुलाब मुरझा जायेंगे…और तुम बिना वजह मेरे उप्पर गुस्सा हो जाओगी…कब तक मुझे तुम यूँ ही इन्तेजार करवाओगी अब मुझसे ये दूरी बर्दास्त नहीं होती…जानू लौट आओ न…जानू मै तुमको बहुत-बहुत याद कर रहा हूँ…तुमको ये गुलाब मुरझाने से पहले ही आना होगा…वरना मै कुछ खाऊंगा नहीं……


तुम्हारा सिर्फ तुम्हारा
आर्यन


जानू लौट आओ न” मेरी एक सत्य कहानी है और मै आपसब से खुद के लिए मार्गदर्शन चाहूँगा…..


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***शेष भाग शीघ्र***

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ऐ जानम मुझे भुलाना पर मेरे इश्क को न भुलाना,

मेरे प्यार के इस दिए को कभी न बुझाना, मर जाऊ गर तुझको देखे बिना मै, मेरी कब्र पे आकर कभी आंसू न बहाना.

मेरी यादें तुझे याद आया करेंगी, राहों में मिलकर सताया करेंगी, मेरी इन यादो से कभी  नज़रें न चुराना, मेरी कब्र पे आकर कभी आंसू न बहाना.

किसी गैर को तुम बना लेना अपना, मेरे इस प्यार को तुम समझ लेना सपना, मेरे हर सपने को अपने दिल में छिपाना, मेरी कब्र पे आकर कभी आंसू न बहाना.

हँसोगी तो हँसेंगे फूल कब्र पे हमारे, गर रोई तो पड़ेगी मेरी कब्र पर दरारें, खुद यूँ रोकर कभी आकाश को न रुलाना, मेरी कब्र पे आकर कभी आंसू न बहाना.

आकाश तिवारी


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