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पवित्र प्रेम —–“Valentine Contest “

बेवफ़ाई
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जिस तरह माँ गंगा को पवित्र माना जाता है वैसे ही प्यार भी पवित्र होता है…मगर जिस तरह माँ गंगा को लोगों ने अपने कृत्यों से अपवित्र कर दिया है,ठीक वैसे ही दुस्चरित्र इंसानों ने अपने कृत्यों से प्यार शब्द को अपवित्र किया है…भले ही आज माँ गंगा का पानी अशुद्ध हो गया है मगर पवित्रता क नाम आते ही सबसे पहले लोग माँ गंगा का ही उदाहरण लेते है…क्यों? क्योंकि आज भी उनकी आत्मा पवित्र है बाह्य शरीर पर उभरा विकार मन को विकृत नहीं कर सकता…प्यार शदियों से ही पवित्र था..आज भी पवित्र है…प्यार तो दो आत्माओं के बीच होता है…प्यार में इस हांड मॉस के शरीर की कोई अहमियत नहीं होती….प्यार में एक बहुत ही पुरानी और बहुत ही प्रचलित कहावत है की…”दिल लगा गधी से तो परी क्या चीज है”…अधिकतर लोग इस कहावत को मजाक में इस्तेमाल करते है मगर क्या किसी ने इस कहावत को गहराई से समझा है…इस कहावत का सीधा सा मतलब है की प्यार सूरत और खूबसूरती नहीं देखता अर्थात प्यार के लिए इस तन-बदन का कोई भी महत्व नहीं…प्यार मन से मन का आत्मा से आत्मा का होता है… जब इंसान किसी दुसरे में अपना अक्स अपने विचारों की झलक देखता है तो वो खुद ब खुद उस इंसान की ओर झुकने लगता है…सच्चा प्यार करने वाला इंसान कभी भी अपने पार्टनर की खूबसूरती की ओर नहीं झुकता बल्कि वो उसके विचारों, उसकी बातों, से ही बहुत खुश रहता है….

 

जो भी लडकियां मेरे इस लेख को पढ़ रही हो इस लाइन को बहुत ध्यान से पढ़ेंगी….

 

अक्सर मैंने लोगों को कहते हुए सुना है की…अगर तुम मुझको प्यार करती हो,अगर तुमको मुझपे विश्वास है तो ऐसा करो, वैसा करो…अगर तुम मुझको सच्चा प्यार करती होगी तो मुझे किस जरूर दोगी..आदि आदि…..तो मै उन लड़कियों को जिनसे उनके प्रेमियों ने ऐसी शर्त कभी रख्खी हो उनसे कहना चाहूँगा की वो अपने ऐसे प्रमियों को तुरंत ही छोड़ दे….क्योंकि ये प्रेम नहीं आकर्षण है….प्रेम कभी भी कुछ मांगता नहीं…ऐसे प्रेमियों से लड़कियों को सौ कदम दूर रहना चाहिए…एक बहुत ही साधारण सी बात है…की अगर प्यार हो गया है तो वो कुछ दिन में ही एक दुसरे की भावना से ही साफ़ जाहिर होने लगता है…जिसको हम अपना जीवन साथी चुनने वाले है आखिर उससे इतनी जल्दी क्यों…आखिर ऐसी क्या बात है की आप शादी तक इन्तेजार नहीं कर सकते तो इसका सिर्फ एक ही जवाब है की या तो सिर्फ शारीरिक प्यार है या फिर प्यार है या नहीं यही कन्फर्म नहीं है…और इस बात का विश्वास नहीं है की मै पूरी जिंदगी के लिए इसको अपना पाऊंगा…मै तो सिर्फ इतना कहूँगा की अगर कोई लड़का किसी लड़की से ऐसा निवेदन करता है तो वो लड़का गलत है और वो उस लड़की को सच्चा प्यार नहीं करता और अगर लड़के द्वारा किये हुए डिमांड को अगर कोई लड़की पूरा भी कर देती है तो वो भी उसको सच्चा प्यार नहीं करती क्योंकि अगर सच्चा प्यार होता तो सामने वाले की दिल की भावना को लड़की बहुत पहले ही भाप लेती….और सीधा जवाब देती की…मै तो शादी करने को तैयार हूँ…मै तुम्हारी हर बात मानने को तैयार हूँ इसका मतलब ये नहीं की मै शादी से पहले ही……तुम पहले शादी कर लो…तब लड़का बोलेगा ..तो इसका मतलब तुम मुझको प्यार नहीं करती तुमको मेरे उप्पर विश्वास नहीं? तो सीधा सा जवाब देना चाहिए…तो फिर चलो अपने घर और मुझसे शादी की बात अपने घर में करो…अगर सब मान जाते है तो ठीक है वरना तुम अपने रस्ते मै अपने रास्ते….क्योंकि तुमने मुझसे नहीं मेरे शरीर से प्यार किया है अगर तुमने मुझसे प्यार किया होता तो आज ऐसी डिमांड न करते…..राखी से जब मैंने एक बार मजाक में ऐसी बात बोली थी की मुझपर अगर विश्वास करती हो तो किस दो तो उसने मुझे एक ऐसा जवाब दिया था जो मुझे आज भी याद है…राखी ने कहा…जानू जिस किस को करने के बाद तुम्हे ये विश्वास हो जायेगा की मै तुमको प्यार करती हूँ वही किस मेरे दिल में तुम्हारे लिए अविश्वास पैदा करेगा..मै तुमपर विश्वास करना चाहती हूँ अविश्वास नहीं…बाकी तुम्हारी मर्जी…..इस जवाब के बाद मेरे दिल में राखी के लिए बहुत इज्जत बढ़ गयी थी…और फिर मैंने उसको ये यकीन दिलाया की मै मजाक कर रहा था ..तो उसने ऐसा मजाक दुबारा न करने की कसम भी दी थी…

 

प्यार में कभी भी काम भावना का स्थान नहीं होता…प्यार में सिर्फ प्यार होता है…मेरे दोस्तों ने एक बार मुझसे यही सवाल किया था..की यार आकाश कभी राखी को किस किया?…तो मुझे आज भी याद है की मैंने अपने दोस्त को जवाब दिया था की…यार प्यार करता हूँ शादी भी करूँगा जब शादी करूँगा तब ये सब सोचूंगा अभी तो ऐसा सोचना भी गलत है…कल को हमारे बीच ऐसा कुछ होता है की हम दोनों अलग हो गए तो मेरे द्वारा किया हुआ कोई भी गलत काम हम दोनों को जिन्दगी भर कष्ट देगा….तो जब शादी करना ही है है तो ये सब बाते शादी के बाद…उस वक्त मेरे दोस्तों ने मेरी इस बात पर बहुत मजाक उड़ाया था..मगर मैंने तो अपनी राखी को सच्चा प्यार किया था….सच्चा प्यार का मतलब कभी दूर न जाने वाला कभी न खत्म होने वाला ,कभी न मिटने वाला प्यार .अगर मैंने अपनी राखी को सच्चा प्यार न किया होता तो शायद आज मै किसी और लड़की की बाहों में होता…..मगर मै तब भी राखी का था आज भी पूरी तरह से राखी का ही हूँ…

 

 

 मुझे आज भी याद है की एक बार राखी ने मुझसे पूंछा था की जानू कल मै जो ड्रेस पहन के आई थी तुमको कैसी लगी…मैंने राखी से कहा यार मैंने तो ड्रेस देखी नहीं लेकिन जब देखा की राखी मेरे इस जवाब से दुखी हो रही है तो मैंने उसको झूट बोला और उसके ड्रेस की बहुत बड़ाई की…मगर ये आज भी सच है की मैंने राखी की आँखों के इलावा कभी कुछ देखा ही नहीं था…बहुत सुंदर थी मेरी राखी…जब भी वो अपने किसी ड्रेस और पहनावे पर प्रश्न करती तो मै हमेशा ही झूठ बोल देता…मैंने अपने दो साल के प्यार में राखी को सिर्फ एक बार गले लगाया था वो भी तब जब हम दोनों अपने प्यार के बुरे दौर से गुजर रहे थे….

 

 

आज मेरी राखी मेरे इस प्यार को जरूर याद करती होगी…जिस लड़की ने खुद को पूरी तरह से मुझे सौप दिया था उसको मैंने कभी गंदी भावना से छुआ भी नहीं था…शायद यही तो सच्चा प्यार है…आज मुझे राखी की बहुत याद आ रही है…राखी I LOVE YOU ….

 

 

मै अपने इस लेख के माध्यम से उन लड़के लड़कियों को ये बताना चाहूँगा की उनका प्यार कभी भी इस तरह की डिमांड करता है तो कभी भी ये उम्मीद न करे की आपको एक सच्चा साथी मिल गया है…(अपवाद आपेक्षित)..ऐसे वक्त में अपने विवेक से काम करे और वही करे जो एक सच्चे प्यार करने वाले को करना चाहिए…

 

……प्यार हमेशा सिर्फ देता है लेता कुछ भी नहीं…….

 

 

…कल मै जागरण ब्लॉग पर अपनी पूरी कहानी पोस्ट कर रहा हूँ जरूर पढ़ें…

 

 

आकाश तिवारी

 

 

 

 

 

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