बेवफ़ाई
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जन्मों साथ रहने का था वादा रे जानू,
तोड़ा है वादा तुझको बेवफा क्यों न मानू..
सुर्ख जिंदगी में सावन आता रे जानू,
सावन सुखाया तुझको बेवफा क्यों न मानू..
जमाने से लड़कर जीत जाता रे जानू,
तूने हराया तुझको बेवफा क्यों न मानू..
अब तो अकेले जिया जाए न रे जानू,
तन्हा छोड़ा तुझको बेवफा क्यों न मानू..
आकाश तडपता है बहुत रोता है रे जानू,
तूने आंसू दिए तुझको बेवफा क्यों न मानू..
तेरी कसम तुझे ही चाहा है रे जानू,
लौट आओ फिर तुझे कभी बेवफा न मानू…
…कल मै जागरण ब्लॉग पर अपनी पूरी कहानी पोस्ट कर रहा हूँ जरूर पढ़ें…
आकाश तिवारी
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