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बेवफा न मानू “गज़ल”—“Valentine Contest “

बेवफ़ाई
बेवफ़ाई
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जन्मों साथ रहने का था वादा रे जानू,

तोड़ा है वादा तुझको बेवफा क्यों न मानू..

सुर्ख जिंदगी में सावन आता रे जानू,

सावन सुखाया तुझको बेवफा क्यों न मानू..

जमाने से लड़कर जीत जाता रे जानू,

तूने हराया तुझको बेवफा क्यों न मानू..

अब तो अकेले जिया जाए न रे जानू,

तन्हा छोड़ा तुझको बेवफा क्यों न मानू..

आकाश तडपता है बहुत रोता है रे जानू,

तूने आंसू दिए तुझको बेवफा क्यों न मानू..

तेरी कसम तुझे ही चाहा है रे जानू,

लौट आओ फिर तुझे कभी बेवफा न मानू…

…कल मै जागरण ब्लॉग पर अपनी पूरी कहानी पोस्ट कर रहा हूँ जरूर पढ़ें…

आकाश तिवारी

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