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सच्चा वैलेंटाइन ***आत्मकथा*** “Valentine Contest”

बेवफ़ाई
बेवफ़ाई
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इस तन्हा ज़िन्दगी में सब कुछ बेगाना सा था,
इक तेरा नाम था जो कुछ जाना पहचाना सा था…

क्लास के दरवाजे के गेट के परदे को हटाते हुए जैसे ही मै अन्दर घुसा सबने मुझे पलटते हुए बहुत गौर से देखा उस क्लास का शायद मै ही सबसे स्मार्ट लड़का था…………मैंने भी सबको देखा मगर न जाने क्यों तुमपर मेरी नज़र जाकर टिक गयी,..दिल में एक अजीब लहर दौड़ गयी….मेरे दिल,शरीर मन को न जाने क्या हो गया था कुछ क्षण के लिए मै वही खड़ा रह गया फिर…………………………मै सोचने लगा की जिसको मैंने पहली बार देखा है वो मुझे अपना-अपना सा क्यों लग रहा है…

आर्यन त्रिपाठी.. राखी त्रिपाठी हम दोनों ही एक कोचिंग में 9th क्लास में  साथ-साथ पढ़ते थे….हम दोनों ही एक दुसरे को बहुत प्यार करते थे मगर दोनों ही एक दुसरे को बोलने से डरते था….हम दोनों ही पढने में बहुत अच्छे थे…मेरी अंग्रेजी बहुत कमजोर थी और इसलिए मै क्लास में राखी के सामने शर्मिंदा होने से बचने और राखी की तरह अंग्रेजी बोलने के लिए दिन रात अंग्रेजी पढने लगा और डेढ़ महीने में ही मैंने अपनी क्लास में अंग्रेजी के टेस्ट में सबको पछाड़ दिया…मेरे घर वाले मेरी अंग्रेजी में हुए इस परिवर्तन से बहुत प्रभावित थे….मै हर पल राखी को देखने की कोशिश करता था…एक दिन मैंने बहुत हिम्मत करके राखी की कापी में लवलेटर रख दिया…….

उस दिन मै बहुत घबराया हुआ था…दो दिनों तक राखी ने मुझे कोई भी जवाब नहीं दिया था मेरी बेचैनी बहुत बढ़ गयी थी…अगले दिन….राखी ने भी अपने प्यार का इजहार कर दिया था…

मेरे आर्यन,

कितना लिखूं…और क्या लिखूं….अपनी ख़ुशी को कैसे दिखाऊँ, अपनी दिल की बात जो इतने दिनों से दिल में ही मैंने दबा के रख्खी थी आज मै सारी बाते तुमसे कह देना चाहती हूँ…आर्यन मै तुमको बहुत-बहुत-बहुत प्यार करती हूँ,कितना प्यार करती हूँ इसका अंदाजा जब मुझको खुद नहीं है तो तुमको क्या होगा…जब तुम पहली बार क्लास के अन्दर आये थे तो तुमको देखते ही ऐसा लगा की तुमको मैंने पहले भी कभी देखा है,या यूँ कहूँ की तुम्हारा मेरा कभी साथ रहा है, हम दोनों का पुराना रिश्ता है…एक शब्द में कहूं तो तुम मुझे पराये नहीं लगे..क्लास में तुम्हारे मुह से निकली एक-एक बात  हर पल मेरे कानों में गूंजती रहती थी,घर पर मन भी नहीं लगता था बस तुमको ही देखने की तुम्हारी बाते सुनने की और तुम्हारे साथ रहने की इच्छा होती थी…तुमको तो याद होगा जब मै दो दिन क्लास नहीं आई थी,वो दो दिन मेरे लिए एक महीने से भी बड़ा लगने लगा था…उस दिन मैंने सोचा था की तुमसे अपने प्यार का अब इजहार कर दूँगी मगर फिर दिल में एक डर की जैसे मै तुमको प्यार करती हूँ क्या तुम भी करते होगे,अगर तुमने मेरे लेटर को फाड़ दिया,या किसी को बता दिया तो मेरा क्या होगा,मै हूँ तो एक लड़की ही न चाह कर भी इन दो महीनो में तुमसे कुछ भी न कह पायी कभी-कभी कुछ न कह पाने से बहुत दुःख होता था और मै घर पर बहुत रोती थी और सोचती थी की जिससे कभी कोई प्यार की बात नहीं हुई आखिर मै उससे इतना प्यार क्यों करती हूँ अगर मेरा प्यार इकतरफा हुआ तो मेरा क्या होगा..आज जब तुमने मुझसे अपने दिल की बात कही तो मानो ऐसा लगा कोई जख्म जो महीनों से दर्द दे रहे थे वो अचानक अच्छे हो गए…मै तुमसे कैसे कहूं तमने मुझे अपना कर मुझे क्या दिया है..आर्यन I LOVE YOU ….मै तुमको बहुत प्यार करती हूँ…मैंने तुम्हारे लेटर का जवाब देने में देरी इसलिए की क्योकि मुझे तुम्हारे प्यार की हकीकत देखना था.आर्यन कभी मुझे छोड़ना मत वरना तुम्हारी राखी मर जायेगी…..
बाकी बाते अगले ख़त में…

तुम्हारी अपनी
राखी

प्यार की शुरुआत में ही एक दुसरे के लिए ऐसे जज्बात…शायद ही ऐसे जज्बात सभी जगहों पर देखने को मिलते हो…शायद यही प्यार है… प्यार न तो सूरत देखता है न शीरत…प्यार किसी के दिल में किसी के लिए जबरदस्ती पैदा भी नहीं किया जा सकता….

अब हम दोनों बहुत ख़ुशी ख़ुशी कोचिंग पढने लगे ..रोज लवलेटर का आदान प्रदान होने लगा….मै कभी भी राखी की खूबसूरती को नहीं निहारता था…मेरी  निगाहें राखी की आँखों के इलावा उसके किसी भी अंग को नहीं देखती थी…राखी और मै हफ्ते में एक बार जरूर मिलते थे मगर कभी भी मैंने राखी को गलत भावना से छुआ भी नहीं था….हम दोनों का प्यार और पढ़ाई बदस्तूर जारी रहा….9th ,10th …

एक दिन राखी के पडोसी ने राखी को मेरे साथ देख लिया और फिर शुरू होती है हमारे प्यार की बदनसीबी….राखी के पापा और मम्मी ने उसको खूब मारा और कमरे में बंद कर दिया …और अगले दिन कोचिंग आकर राखी के पापा ने मुझको भी दो थप्पड़ मारा…..मैने राखी के पापा को साफ़-साफ़ कह दिया की मै राखी को गंदी नजरों से प्यार नहीं करता…बल्कि मै राखी से सच्चा प्यार करता हूँ…पढाई भी कर रहा हूँ कुछ बनते ही राखी से शादी कर लूँगा…..मगर राखी के पापा ने मेरी एक न सुनी…मुझको कोचिंग से निकाल दिया गया…मै राखी से मिलने के लिए बहुत तड़पने लगा…उधर राखी ने कई दिनों तक कुछ भी नहीं खाया बंद कमरे में चिल्ला-चिल्ला के घर वालों को बोलती रही की मैंने कुछ भी गलत नहीं किया मै आर्यन से 2 सालों से प्यार करती हूँ…आर्यन ने मुझे आज तक छुआ भी नहीं…पढ़ाई भी हम दोनों अच्छे से कर रहे है…आर्यन ने कहा है वो नौकरी करते ही अपने घर वालों के साथ मेरा रिश्ता माँगने आएगा…मुझे बाहर निकालो मुझे आर्यन से मिलना है….अगर मै आर्यन से न मिली तो मै मर जाउंगी…मगर राखी के घर वाले राखी की एक भी नहीं सुन रहे थे…इधर मैंने अपने मम्मी पापा को बहुत अच्छे से समझाया…मेरे पापा मेरी बात मानकर मुझको लेकर राखी के घर जाते है और वहा पर राखी के ममी-पापा से मिलते है और कहते है…

त्रिपाठी जी आपको भी पता है और मुझे भी पता है की राखी और आर्यन दोनों एक दुसरे को बहुत प्यार करते है…दोनों पढने लिखने में भी अच्छे है मुझे लगता है की दोनों की सगाई कर दिया जाए और आर्यन के नौकरी करते ही दोनों की शादी कर देते है….मै भी पंडित हूँ…..और आप भी…दोनों लोग किसी भी स्तर पर किसी से कम नहीं है……आप क्या सोचते है…

राखी के पापा ने कहा…भाड़ में जाएँ आप और आपकी सलाह…राखी की हिम्मत कैसे हुई प्यार करने की…ये वहीँ शादी करेगी जहा मै चाहूँगा…अपने रूढ़िवादी विचारों पे अडिग रहते हुए राखी के पापा ने मुझे और मेरे पापा को घर से निकाल दिया…हम दोनों की हालत बहुत खराब होने लगी मगर फिर धीरे -धीरे घर वालों का साथ पाकर हम दोनों फिर से घर से निकलने लगे…राखी के पापा राखी के लिए रिश्ता खोजने लगे…जब बहुत दिनों बाद हम मिलते है तो दोनों लिपट कर बहुत रोते है….

हम दोनों शारीरिक रूप से बहुत कमजोर हो जाते है पढ़ाई का भी बहुत नुकसान होता है….राखी मेरे आँखों से निकलते हुए आंसुओं को पोंछते हुए खुद बहुत रोती है…मै राखी से कहता हूँ…जानू हमने क्या गलत किया है जो हमारे घर वाले हमारे साथ ऐसा कर रहे है…..मेरे घर वाले तो मान भी गए मगर तुम्हारे पापा ने तो मेरे पापा की बहुत बेइज्जती की वो अब कभी तुम्हारे घर नहीं जायेंगे…मै राखी से भाग चलने के लिए कहता हूँ….मगर राखी मुझसे कहती है की… हम गलत नहीं है जो भाग के शादी करे… मै तुमसे बिना मिले रह नहीं पाती…आज जब वापस घर जाउंगी तो फिर जल्दी वापस नहीं मिल पाउंगी अपन ख्याल रखना…कभी कुछ उल्टा सीधा मत करना अभी हम-दोनों को पूरी जिंदगी साथ देना है..देखना मै तुमसे जरूर मिलूंगी…..बहुत जल्द मै तुमसे हमेशा हमेशा के लिए मिलूंगी…आज राखी की बातों में मुझे कुछ अजीब सा महसूस हुआ…

हम दोनों अपने अपने घर वापस चले आते है…मै राखी की यादों में कापी में कुछ शब्दों को लिखने लगता है…ये सब घटनाए मुझे कविता लिखने की प्रेरणा देने लगी…मै टूटी फूटी कवितायें लिखने लगता हूँ…मेरी हालत मेरे घर वालों को बर्दास्त नहीं होती मगर बेचारे करते भी तो क्या करते…बहुत समझाते थे मगर मै हमेशा चुप रहने लगा…इधर राखी अपने परिवार वालों को बहुत समझाती है….राखी अपनी माँ से कहती है..मम्मी मेरी शादी तो आप लोगों को करनी ही है,तो फिर आर्यन में क्या बुराई है अपने ही जात बिरादर का अच्छे घर का लड़का है और क्या चाहिए आप लोगों को…..अगर आपने अब मेरी बात नहीं मानी तो मै जान दे दूंगी…..राखी की बातों को उसके घर वाले अनसुनी कर देते..

एक दिन मुझे राखी का लेटर मिलता है

मेरे जानू मेरे सबकुछ मेरे अपने आर्यन

मुझे इस बात का बहुत दुःख है की मेरे घर वालों ने मेरी एक भी बात नहीं मानी….मैंने उनसे हर तरह की बात कर लिया…..मुझे ऐसा कोई कारण नहीं दिखता की वो मेरी शादी तुमसे न कर पाए..मेरे रिश्तेदारों द्वारा किये गए परिहास को याद कर मेरे माँ बाप तुमसे मेरी शादी नहीं करना चाहते..जबकि तुम भी पंडित हो और मै भी…हमारी तुम्हारी शादी तो मेरे घर वालों को हंसी खुसी कर देना चाहिए…मगर मेरे घर वालों ने अपनी ही जिद्द पकड़ी हुई है…मैंने जिंदगी में तुमसे कभी दूर जाने की कल्पना भी नहीं की थी मगर इधर तीन महीनों में मै इकदम टूट गयी हो मुझे मेरे घर वालो ने तुमसे दूर रखकर अच्छा नहीं किया…मेरा जिस्म मेरे जान से दूर कैसे रह सकता है….मै भाग के शादी करके अपने प्यार को बदनाम भी नहीं कर सकती शायद मेरे इस कदम से मेरे पापा अपनी जान दे दे..मुझे पता है की तुमको भी बहुत दुःख है…..मगर तुमको मेरा साथ देना ही होगा …जानू…तुम एक दिन इतने कामयाब इंसान बनना की मेरे घर वाले तुमसे बात करने को और मिलने को तरसें……जानू मै तुमको बहुत याद कर रही हूँ… मुझे हमेशा प्यार करना अब बस मै ज्यादा नहीं लिख पा रही हूँ आंसुओं के कारण कुछ दिख नहीं रहा है….जानू कल मुझे देखने वाले आ रहे है …राखी को देखने का अधिकार केवल उसके आर्यन को है…अब मै जिन्दा नहीं रह सकती…मुझे पता है मेरे मरने के बाद तुम भी कुछ करोगे मगर मैंने वादा दिया है कुछ बनकर दिखाना अगर तुमने मरने की कोशिश भी की तो तुम्हारी जानू तुम्हे कभी माफ़ नहीं करेगी………
मै बहुत तकलीफ में हूँ जानू……ये लेटर जब तुमको मिलेगा तबतक मै इस दुनिया से बहुत दूर चली जाउंगी……
अपना ख्याल रखना

सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी
राखी

लेटर पाते ही मै दौड़ते हुए राखी के मुहल्ले में पहुँचता हूँ…वहा चीख पुकार मची रहती है….और राखी के घर के सामने राखी का जनाजा रख्खा रहता है …..मै बहुत चिल्लाता हूँ…मै राखी को आखिरी बार देखना चाहता था मगर कोई मुझे उसके पास नहीं जाने देता…
मै बेहोस हो जाता हूँ…होस आने पर खुद को हास्पिटल में पाता हूँ और मै बहुत रोता है, सब से राखी को वापस लाने के लिए बोलता हूँ…”जानू लौट आओ न ” जानू तुमने अच्छा नहीं किया जन्मो साथ रहने का वादा किया था लेकिन तुमने बेवफाई की है…तुम मुझे अकेला छोड़ के चली गयी तुम धोखेबाज हो…जानू लौट आओ न………

मेरे पास दो लेटर रख्खा रहता है …एक राखी का और एक अपनी कम पढ़ी लिखी माँ द्वारा टूटे फूटे शब्दों में लिखा हुआ…

राखी के लेटर में राखी ने आर्यन से वादा लिया था की वो कुछ कर दिखाएगा…

माँ ने लिखा था…

बेटा हमने हमेशा वो किया जो तुमने चाहा राखी ने जो किया उसमे हमारा कोई कसूर नहीं था…अगर तुमने अपने आप को कोई नुकसान पहुंचाया तो मै भी मर जाउंगी…इसलिए तुम अब राखी का ख़्वाब पूरा करना बेटा…मैंने एक शर्त पर कुछ न करने की बात मानी वो थी…मै कभी शादी नहीं करूँगा …”

मै उन रूढ़िवादियों से पूछना चाहता हूँ क्या गलती की थी राखी ने..क्या प्यार करना पाप है..राखी और मै  सभी दृष्टिकोण से सामान थे फिर क्यों माँ बाप अपनी जिद्द पर अड़े रहे क्या मिला उन्हें …..क्या मेरा शादी न करने का फैसला गलत है…जब मेरी जानू मेरे लिए अपनी जान दे सकती है तो क्या मै उसके लिए इतना छोटा बलिदान भी नहीं दे सकता…क्या हमारा प्यार सच्चा नहीं था…आज जब इंसान शरीर पर छोटा सा घाव बर्दास्त नहीं कर सकता राखी ने मेरे लिए अपनी जान दे दी थी…क्या आपको हमारे प्यार में कहीं भी वासना दिखती है..आज मेरे दर्द का जिम्मेदार कौन है….आज मेरी अनिंद्रा की बिमारी और कभी न हस पाने का जिम्मदार कौन है…क्या सोचते है राखी के घर वाले की राखी मुझसे दूर है? नहीं राखी की रूह आज भी मेरे पास है, राखी आज भी मुझसे प्यार करती है और अपने माँ बाप से नफरत…….
मुझे आपसब से जवाब चाहिए………….हिन्दुस्तान में सच्चे प्यार को राधा कृष्ण से जोडकर नहीं बल्कि अपराधियों की तरह देखा जाता है…..क्या हमारा प्यार गलत था…क्या हम गलत थे अगर प्यार करना गलत है तो उखाड़ फेको राधा-कृष्ण की मूर्तियों को…….समाज का दोगला चरित्र  है ये…..एक तरफ राधा कृष्ण को एक साथ पुजते है और दूसरी तरफ दो दिलों को जुदा करते है….
आप सबसे अपनी पूरी कहानी साझा करते हुए कई बार ऐसा हुआ की मुझे नींद की दवाइयां लेना पडा…

आप सब से विनम्र निवेदन है की आपसब मेरी राखी की आत्मा की शान्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना जरूर करें…

आप सबका
आकाश तिवारी

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