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बेवफा न मानू “गज़ल”

बेवफ़ाई
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जन्मों साथ रहने का था वादा रे जानू,

 तोड़ा है वादा तुझको बेवफा क्यों न मानू..

 

  

 सुर्ख जिंदगी में सावन आता रे जानू,

 सावन सुखाया तुझको बेवफा क्यों न मानू..

 

  

 जमाने से लड़कर जीत जाता रे जानू,

 तूने हराया तुझको बेवफा क्यों न मानू..

 

  

 अब तो अकेले जिया जाए न रे जानू,

तन्हा छोड़ा तुझको बेवफा क्यों न मानू..

 

  

 आकाश तडपता है बहुत रोता है रे जानू,

तूने आंसू दिए तुझको बेवफा क्यों न मानू..

 

  

 तेरी कसम तुझे ही चाहा है रे जानू,

लौट आओ फिर तुझे कभी बेवफा न मानू…

 

 

 

 उम्मीद करता हूँ की मेरी ये नयी ग़ज़ल आपको पसंद आई होगी..

 

 

जरूर पढ़ें…

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आकाश तिवारी

 

 

 

 

 

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