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देश के गद्दार

बेवफ़ाई
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“मै” अर्थात हम अर्थात हम सब..आज के इस वक्त में हम सब इस देश के गद्दार हैं..जो देश के लिए कुछ न कर सके वो देश का गद्दार है…..मै,,आप,,हम सब लोग खड़े होकर केवल तमाशा देख रहें है,,,या फिर उस बावत थोड़ी चर्चा कर के अपना टाइम पास कर लेते हैं मगर देश के लिए कुछ करने को कह दें तो मै,,,आप,,,हम सब कुछ भी नहीं कर सकते…. हम सभी आजकल एक विषय पर बहुत ही चाव से चर्चा करते हैं वो है….”महंगाई”…महंगाई बहुत बढ़ गई है..कमाते-कमाते मरे जा रहे है कुछ भी बच नहीं रहा है….वगैरह-वगैरह.. हमारे पड़ोश में गुप्ता जी है वो दिन रात सरकार को कोसते रहते है,,’ये सरकार जब से आई है महंगाई तो सर पे चढ़ गई है..बहुत बेकार सरकार है किसी काम की नहीं है’ ….मगर ये गुप्ता जी जो सरकार को दोषी ठहरा रहे है क्या वो अपना हर काम क़ानून और नियम के दायरे में करते है?नहीं …..इनके घर में बिजली का कनेक्शन नहीं है अवैध तरीके से बिजली का इतेमाल करते है,,किसी भी वस्तु को खरीदने के बाद उसका पक्का बिल मागने में इन्हें बहुत तकलीफ होती है…पूरी जवानी बीत गयी आजतक अपना ड्राइवरइंग लाइसेंस तक नहीं बनवाया…इनका अधिकतम काम फर्जी और अवैध तरीके का ही होता है……जब ये कोई काम ठीक से नहीं करते तो इनको कौन अधिकार दे दिया सरकार को बुरा कहने का…ये दोहरा चरित्र सिर्फ गुप्ता जी का ही नहीं है बल्कि हम सब का है मेरा खुद का है मै अगर अपना कर्तव्य का पालन ठीक से नहीं करता और मेरे द्वारा किये कृत्यों से अगर मेरे भारत देश को हानि हो रही है तो मै कहूँगा…“हाँ मै हूँ देश का गद्दार”…मुझे ये बोलने में कोई हिचक नहीं है….

 

अभी कुछ समय पूर्व हमारे मुहल्ले में कूड़ा डालने के लिए खूबसूरत हरे रंग का लोहे से बना कूड़ेदान नगर निगम ने हर उस जगह पर लगवाया था जहाँ लोग कूड़ा फेंकते थे ताकि लोग उसी कूड़ेदान में कूड़ा फेंके और गंदगी न फैले मगर हमने क्या किया “कूड़ेदान में कूड़ा फेंकने के बजाय कूड़ेदान को ही कूड़े में फेंक दिया” कुछ ही दिनों के भीतर सारे कूड़ेदान कूड़े में जा चुके थे और जो मुहल्ला शायद साफ़-सुथरा होने वाला था वो फिर अपनी पुराने रंग में लौट आया…क्या यहाँ सरकार गलत है.. आज शहर में हर दस में से 6 घरों में बिजली का अवैध इस्तेमाल हो रहा है,बिजली चोरी हो रही है,क्या ये चोरी सरकार कर रही है? नहीं …बिजली चोर तो हम है…जब-जब सरकार ने कोई कड़ा कदम उठाया है सघन चेकिंग चलायी है तो हम बिजली चोरों ने बिजली वालों को मिठाई के डिब्बे में 100 -100 या 1000 के नोट रख के दिए हैं..क्यों? ताकि हमारे घरों में लगी एसी अवैध तरीके से प्राप्त बिजली से धडल्ले से चल सके..नहीं तो हजारों का बिल हर महीने भरना पड़ेगा….अगर इनसे कोई कहे की भाई ऐसा क्यों करते हो,बिजली चोरी क्यों करते हो तो इनका दो टूक जवाब भी सुन लीजिये…“मै अकेला इंसान हूँ क्या जो बिजली चोरी करता हूँ और भी तो बहुत लोग है पहले उनको रोको बाद में हमको बोलना…” सुन लिया आपने इनका जवाब इस जवाब को जरा याद कर लीजिएगा आगे भी सुनने को मिलेगा….सड़क पर तो हम ट्रैफिक के रूल कैसे तोड़ते हैं किसी से छुपा नहीं है,ऐसा कोई दिन नहीं होता जब हम ट्रैफिक के रूल न तोड़ते हों…और अगर किसी से फिर वही घिसा पिटा सवाल किया जाए की भाई ट्राफिक का रूल क्यों तोड़ते हो तो उसका जो जवाब होगा वो आपको पता ही है……“मै अकेला इंसान हूँ क्या जो ट्राफिक के रूल तोड़ता हूँ और भी तो बहुत लोग है पहले उनको रोको बाद में हमको बोलना”….शायद अभी आप ऐसा जवाब उप्पर एक बार सुन चुके होंगे….हर जगह इस तरह के प्रश्न और ठीक उसी तरह के उत्तर हमें आपको देखने को मिलते हैं..

 

बिजली, पानी, मकान, दूकान,वोटिंग हर जगह हम अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते..अपना हर काम हम घूस देकर जल्द से जल्द करवा लेते है…हर जगह गंदगी तो हम लोगो ने ही फैलाई है और फिर आज सर पे हाथ रखकर भ्रष्टाचार का रोना रो रहे है…हमने एक कुत्ता पाला पहले उसको हड्डी खिला-खिला कर मांसाहारी बना दिया और फिर आज उम्मीद कर रहे है की हमारा कुत्ता शाकाहारी हो जाए …ऐसा तो अब हो नहीं सकता ….जिन सरकारी लोगो को हमने घूस दे-देकर घूसखोर बना दिया क्या वो अब सुधरेंगे…नहीं …उनको घूसखोर बनाने वाले हम है…इस घूसखोरी से होने वाले नुक्सान के जिम्मेदार भी हम है…इस तरह के वाक्ये हम आप हर रोज दुहराते है इसलिए मुझे नहीं लगता की अब मुझे इस पर ज्यादा उदाहरण देना चाहिए..अब मै सीधे मुद्दे पर आता हूँ..

 

अभी जो जवाब आपने उप्पर सुने हैं उसे फिर सुनिए…..एक पत्रकार जी एक बहुत बड़े सांसद के पास गए और उनसे कुछ निजी सवाल पूछे तो सांसद जी ने पत्रकार जी को एक कसम दी की आप ये बातें अखबार में नहीं छापेंगे…बहुत सी बातें हुई ..फिर पत्रकार जी ने सवाल किया ‘हर जगह हर नेता घोटाला कर रहे है देश का ध्यान नहीं रख रहे है…..आप क्यों ऐसा करते है आप क्यों नहीं जनता के लिए काम करते तो सांसद जी का सीधा सा जवाब था ‘…”मै अकेला इंसान हूँ क्या जो घोटाला करता हूँ… और भी तो बहुत लोग है पहले उनको रोको बाद में हमको बोलना”…. इस तरह के जवाब को सुनने के बाद क्या मै…आप…हम सब कुछ कह या कर सकते है? नहीं…क्यों?…क्योंकि ये जो जवाब है ये तो हम प्रतिदिन किसी न किसी को देते ही रहते हैं…क्या अंतर है हममे और राजनेताओं में ……हम अपने कर्तव्य का पालन नहीं करते और  राजनेता अपने….जो काम हम करते हैं उससे देश को नुकसान हमको फायदा होता है…जो काम राजनेता करते हैं उससे भी देश का नुकसान होता है और राजनेता का फायदा….मुझे तो कहीं भी अंतर नहीं लगता….मुझे तो “मै और राजनेता दोनों ही देश के गद्दार नजर आते है”…..जिस प्रकार हम देश की सम्पत्ति,मर्यादा को नुकसान पहुंचाकर अपने लॉकर भर रहे है ठीक वैसा ही काम ए. राजा, कलमाड़ी जैसे लोग भी कर रहे है..मेरी नजर में दोषी वो नहीं बल्कि हम खुद है हम छोटे चोर हो वो बड़े ……

 

मै अगर एक छोटे से स्तर पर देश की भलाई के लिए कुछ नहीं कर सकता तो बिलकुल मै कहूँगा..हाँ….हाँ….हाँ….मै हूँ देश का गद्दार…मै किसी राजनीतिक परिवार से ताल्लुक नहीं रखता मै इस अपने देश से बहुत प्यार करता हूँ..इज्जत करता हूँ इसीलिए मै इस लेख को आज लिख रहा हूँ..इस लेख को पढने के बाद कृपया कर के मै…आप….हमसब….कभी भी किसी राजनेता को गाली नहीं देंगे बल्कि खुद अपने गिरेबान में झाकेंगे.. अब या तो हम अपनी सोच और तौर तारीका बदलेंगे या तो ये जैसा चल रहा है चलने दिया जाए..एक दिन खुद-ब-खुद सब ठीक हो जाएगा.. या तो ये देश रहेगा या तो हम रहेंगे.. शायद अब मुझे ज्यादा लिखने की जरूरत नहीं है क्योंकि मेरे जागरण ब्लॉग पर सभी बहुत उच्च दर्जे के लेखक है ज्यादा लिखूंगा तो मेरी अज्ञानता की पोल खुल जायेगी….. कोई भी गलत काम करते वक्त अगर मेरा ये लेख आपके जेहन में आ गया तो मै समझूंगा की आज मेरी मेहनत सफल हुई..

 

 

 “मिटा रहा हूँ देश को,हमसे है बिगड़ी ये सरकार,

अब चिल्ला चिल्ला के कहूँगा,हाँ हाँ ”मै” हूँ देश का गद्दार”..

 

 अगर मेरी बातों से किसी की भावना को ठेस पहुंची हो तो मै छमा चाहूँगा…

इस मुद्दे पर आपके विचारों की प्रतीक्षा रहेगी

आपका

आकाश तिवारी

 

 

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