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हार गया विज्ञान

बेवफ़ाई
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 हम चाहे जितनी भी तरक्की कर ले मगर प्रकृति के आगे शून्य ही रहेंगे..इसका सबसे ज्वलंत उदाहण विश्व के सबसे तकनीक रूप से विकसित जापान देश में 11 मार्च को आये 8 .9 रिक्टर पैमाने के भूकम्प और सूनामी के बाद देखने को मिला…न कोई भूकम्प रोक सका न कोई सुनामी यहाँ तक की किसी को इतनी सटीक जानकारी भी नहीं मिली होगी की प्रभावित स्थान को छोड़कर किसी सुरक्षित स्थान तक जा सके…..विज्ञान प्रकृति के कोप से बचने का उपाय ही कर सकता है मगर आने वाली विपदा को रोक नहीं सकता…जापान में आया ये विनाशकारी भूकम्प और सुनामी एक संकेत है उनके लिए जो प्रकृति का दोहन कर रहे है…अगर इसी प्रकार हमसब प्रकृति का दोहन करते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब समूचे विश्व में ऐसी घटना होगी….
मै सभी ब्लोगरों से निवेदन करूँगा की वो जापान में आये भूकम्प और सुनामी में मारे गए लोगो की आत्मा की शान्ति के लिए इश्वर से प्रार्थना अवश्य करे…

आकाश तिवारी

 

 

दर्द भरी सुनामी

 

 

आज मै आप के सामने अपनी एक बहुत पुरानी कविता प्रस्तुत करने जा रहा हूँ, ये कविता वर्ष 2005 में आये सुनामी पे मैंने लिखी थी तब किसी के सामने प्रस्तुत करने का इतना अच्छा माध्यम नहीं था.कल जब जापान में सुनामी आया तो मैंने इसे पोस्ट करने के विषय में सोचा….आज मै 17 फरवरी 2005 को लिखी कविता प्रस्तुत करने जा रहा हू आशा है आप सब इसे सहर्ष स्वीकार करेंगे—आकाश

 

 

 

 

सूनी-सूनी सुनामी की लहर थी कैसी न जाने,
हो गया सब कुछ तहस नहस आगे का अब ऱब जाने.

 

जीवन की जो चाह थी पूरी भी न हो पाई,
सच्चाई की आड़ में उनकी आँखे न रो पाई,
सोते हुए ही दफ्न हो गए कितने लोग न जाने.
हो गया सब कुछ तहस नहस आगे का अब ऱब जाने..

 

सच्चाई और झूठ को हम तुमको कैसे बतलाये,
शब्दों के ढेर से दो शब्द भी न मिल पाए,
कैसा था वो मंजर ये तो केवल वो जाने.
हो गया सब कुछ तहस नहस आगे का अब ऱब जाने..

 

सुबह से पहले ही छा गया था अन्धकार,
रोज सुबह के मिलने वाले बिछड़ गए थे इस बार,
अज़नबी हो गए वो सब जो थे जाने पहचाने.
हो गया सब कुछ तहस नहस आगे का अब ऱब जाने..

 

क्या होगा उनका भविष्य जो अपनों से बिछड़ गए,
सुनामी की इन लहरों में अपने आप ठहर गए,
इन लहरों से बचने वालों का क्या कोई घर जाने.
हो गया सब कुछ तहस नहस आगे का अब ऱब जाने..

 

विराना सा हो गया शहर लोगो के होते हुए,
सूना सा हो गया घोसला चिड़िया के होते हुए,
दर्द से भरे उन शहरो का क्या कोई दुःख जाने.
हो गया सब कुछ तहस नहस आगे का अब ऱब जाने..

 

आकाश

 

 
आप सभी से अनुरोध है की मेरी कविताओं का इस्तेमाल अपने नाम पर कभी न करे क्योंकि ये कवितायेँ सिर्फ मेरी है. और रजिस्टर्ड है. आकाश तिवारी

 

 

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