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आज बहुत वक्त बाद मै कुछ लिखने जा रहा हूँ त्रुटी स्वाभाविक है…
जागरण ब्लॉग ने एक ऐसा मुद्दा उठाया है जिसपर बहुत ही गरमागरम बहस हो सकती है..हो क्या सकती है हो भी रही है..
वेश्यावृति पर सभी के विचार भिन्न होना स्वाभाविक है मई भी इन्ही कुछ मुद्दों पर आपसे चर्चा करूँगा..
एक रात को एक ट्रक वाला बहुत थका हारा आया और ढाबे में नहाने और खाने के बाद खाट पर लेट गया और मानव स्वभाव के अनुरूप उसे अपनी पत्नी की जरूरत महसूस होने लगी क्योंकि वह पिछले २० दिनों से ट्रक पे ही था..फिर उसने ढाबे वाले से वेश्यालय का पता पूंछा और चल पड़ा वेशालय उसने वहा पहुँच कर दाम तय किया और फिर उसे भेज दिया गया वेश्या नंबर 13 के पास ट्रक वाला काफी हैरान था क्योंकि कभी भी उसने वेश्याओं को नंबर से नहीं जाना था…
जब वो वेश्या नंबर 13 के पास पहुंचा तो वो पाता है की एक 22 -25 साल की लड़की जो की किसी भी तरह से देखने से वेश्या नहीं लगती थी वहा मौजूद थी.अब ट्रक वाले को ये बेचैनी हो गयी की मै आखिर ये कैसे जानू की आखिर ये है कौन…उसने बहुत हिम्मत करके उस लड़की से आखिर पूँछ ही लिया..आपका नाम लड़की ने तुरंत जवाब दिया —वेश्या नम्बर 13 ..मैने आपसे आपका असली नाम पूंछा ..लड़की ने उस ट्रक वाले से ही एक प्रश्न पूँछ लिया ये बताओ तुम्हारे घर में कोई लड़की है .अगर है तो उसका नाम बताओ…ट्रक वाले ने बोला हां मेरी छोटी बहन है रश्मी..मेरा नाम भी रश्मी है वेश्या ने जवाब दिया ..ट्रक वाला बहुत ही गुस्सा हुआ और उस लड़की के उप्पर फूट पड़ा तेरी औकात कैसे हुई मेरी बहन का नाम लेने की..साहब यही एक कारण है की हम लोग यहाँ अपना कोई नाम नहीं रखते क्योंकि ग्राहक के किसी अपने का नाम हमसे मिल जाता है तो ग्राहक का मूड ख़राब हो जाता है…अब ट्रक वाले को समझ में आने लगा की कहीं न कही कुछ गड़बड़ हुई ई..अब वो उस वेश्या से बाते करने लगा….और वेश्या ने शुरू की कहानी….
अच्छे लोग वेश्या का नाम लेना भी पाप समझते है ..साहब आप ही बताओ की अगर हम न होते तो आप आज की रात किसके पास जाते साहब ऐसी कोई भी रात नहीं जाती जब बाहरी लोग आकर अपने मन को शांत न करते हो..साहब क्या हमें इज्जत नहीं मिलनी चाहिए..साहब आजके वक्त में ऐसी लडकिय है जो सिर्फ अपनी इच्छाओं को पूर करने के लिए इस धंधे में उतरती है,कितने लोग अपनी हवस को पूरा करने के लिए दूसरों की बहन बेटियों को देखते है अगर हम न होते तो क्या ये बहु बेटियां बच पाती….नहीं साहब ये जमाने के लोग नोच खाते उनको…..साहब ये बात अलग है की लड़कियों को जबरदस्ती इस धंधे में लाया जाता है..यही एक बात गलत है..मेरा मानना है की सबको अपने मन का धंधा करने की आजादी होनी चाहिए क्योंकि चुपके कोई काम करने से अच्चा है खुलकर करना…आखिर उन लड़कियों का क्या जो सिर्फ मौज मस्ती के लिए ऐसा काम करती है…..मै तो अपने इस धंधे से खुस हूँ…..
ये सिर्फ एक वेश्या की कहानी नहीं बल्कि न जाने कितनी वेश्याओं की विचार वेश्या नंबर 13 से मिलते है…मेरा भी अपना खुदका मानना है की यदि कोई इंसान अपनी स्वेछा से कोई धंधा करना चाहता है. तो उसे करने दिया जाये और अपराध उसे माना जाए जब किसी को जबरदस्ती इस धंधे में उतारा जाये..अगर आज हर शहर में ऐसे वेश्यालय न होते तो हम आप खुद समझ सकते है की समाज में क्या स्थिति होती..जो जिस मानसिकता, विचारों वाला होगा वैसा ही काम करेगा..एक सभ्य सामाजिक घर की लडकिया ऐसा करने की कभी कल्पना भी नहीं कर सकती इसलिए लोगों को बेफिक्र रहना चाहिए क्योंकि अगर उनकी परवरिश में कोई गंदगी नहीं तो उनके घर की लडकिया ऐसा काम कभी भी नहीं करेगी और अगर करती है तो ऐसे घर वालों को अपने बच्चों को नहीं खुद को दोष देना चाहिए क्योंकि गलती परिवार वालों की है……
आकाश तिवारी
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