इलाहाबाद का वो इंसान होता है..(कविता)
बहुत दिनों बाद इस मंच पर वापसी करते हुए थोडा नर्वस था..लेकिन अपने पुराने पोस्ट और अपने ब्लोगर साथियों के कमेन्ट को पढने के बाद हिम्मत बाँध कर वापस इस मंच पर आया हू..उम्मीद करता हु आपसब मेरा साथ ज़रूर देंगे..
हर कामयाबी के पीछे जो नाम होता है,
इलाहाबाद का वो इंसान होता है..
गंगा यमुना का यहाँ संगम बहता है,
कुछ करने का ज़ज्बा यहाँ हर दम रहता है,
हसते हुए देश पर जो कुर्बान होता है.
इलाहाबाद का वो इंसान होता है..
संघर्ष किया इसने सत्ता भी है चलाई,
संकट के पलो में हमेशा बाहे फैलाई,
गुरुर जिसमे जरा भी न होता है.
इलाहाबाद का वो इंसान होता है..
दुनिया से अलग अपना ही अंदाज है,
खाने पीने का भी खूबसूरत रिवाज है,
अपराधी भी जिससे सद्ज्ञान लेता है.
इलाहाबाद का वो इंसान होता है..
किसी से बैर भी नहीं करते,
बातों में प्यार का ही रस भरते,
सबके सुख दुःख का जिसको ध्यान होता है.
इलाहाबाद का वो इंसान होता है..
हाल ही में दैनिक जागरण ने अपने शहर पर एक कविता लिखने को कहा था..मैंने तभी इस कविता को लिखा था….अब आप बताये ये कैसी है…….
आकाश तिवारी
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