बेवफ़ाई
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थी मुस्कुराती ज़िन्दगी मेरी रुला के चल दिए,
फेका मैय्यत पे फूल और मुस्कुरा के चल दिए..
देखा है प्यार हमने बेशुमार उनका,
झुकी नजरों से इकरार उनका,
आज करके इनकार चल दिए..
फेका मैय्यत पे फूल और मुस्कुरा के चल दिए..
मेरी तन्हाइयों को महफ़िल बनाया,
हर मुश्किल में गले लगाया,
करके बेसहारा आज चल चल दिए..
फेका मैय्यत पे फूल और मुस्कुरा के चल दिए..
जब अपनों ने छोड़ा तूने अपनाया,
हर जख्म पर तूने मरहम लगाया,
आज सीने पर खंजर मार के चल दिए..
थी मुस्कुराती ज़िन्दगी मेरी रुला के चल दिए,
फेका मैय्यत पे फूल और मुस्कुरा के चल दिए..
आशा करता हूँ की आपको मेरी ये ग़ज़ल पसंद आई होगी.बहुत जल्द एक नयी ग़ज़ल के साथ फिर आऊंगा.
आपका
आकाश तिवारी
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