- 94 Posts
- 1979 Comments
कल यानि की २६ फरवरी को मै आपका विश्वयुद्ध से सम्बंधित ब्लाग खोल रहा था तो खुल नहीं रहा था तो मुझे लगा शायद कोई दिक्कत हो..मगर आज आपके इस लेख ने तो मुझे स्तब्ध करके रख दिया..मै इस ब्लॉग की कुछ खामियों के कारन इस मंच से दूर हो गया था फिर अनायास आपलोगों की याद यहाँ खीच लाइ..मुझे न कभी किसी कमेन्ट की लालसा थी न किसी पुरस्कार की..अगर आप जैसे अच्छे लेखक इस मंच से चले जायेंगे तो यहाँ फिर मुझ जैसे अनपढ़ की क्या जगह आप तो गुरु समान है और मै शिष्य समान जब मेरा गुरु ही नहीं तो ये शिष्य फिर कैसे यहाँ रह सकता है..बहुत मुश्किल हो जाएगा यहाँ रहना…वैसे ही बहुत सूनापन है यहाँ…
जागरण ने कभी भी ये कोशिश नहीं की की अपने ब्लोगरो से कुछ सुझाव मांगे..बस अपनी ही चलाई है …..हम सब २ साल से इस मंच के साथ है फिर भी हमारी कोई अलग स्थिति नजर नहीं आती…कभी कभी मुझे भी अच्चा फील नहीं होता मगर मै तो हर स्थिति में शांत रहने वाला हु..मेरे साथ भी कई बार बहुत ज्यादा ज्यादती हुई..ये सब ने माना है..मगर ……………………………..जाने दीजिये जब आप सब ही नहीं होंगे तो क्या फायदा….बहुत जल्द मै भी चला जाऊंगा..
************************************************
बेपनाह मुहब्बत की सज़ा पाए बैठे है
हासिल न हुआ कुछ भी सबकुछ लुटाये बैठे है..
***************************************************
आकाश तिवारी
Read Comments