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मेरी कब्र

बेवफ़ाई
बेवफ़ाई
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ऐ जानम मुझे भुलाना पर मेरे इश्क को न भुलाना,
मेरे प्यार के इस दिए को कभी न बुझाना,
मर जाऊ गर तुझको देखे बिना मै,
मेरी कब्र पे आकर कभी आंसू न बहाना.

 

 

मेरी यादें तुझे याद आया करेंगी,
राहों में मिलकर सताया करेंगी,
मेरी इन यादो से कभी नज़रें न चुराना,
मेरी कब्र पे आकर कभी आंसू न बहाना.

 

 

किसी गैर को तुम बना लेना अपना,
मेरे इस प्यार को तुम समझ लेना सपना,
मेरे हर सपने को अपने दिल में छिपाना,
मेरी कब्र पे आकर कभी आंसू न बहाना.

 

 

हँसोगी तो हँसेंगे फूल कब्र पे हमारे,
गर रोई तो पड़ेगी मेरी कब्र पर दरारें,
खुद यूँ रोकर कभी आकाश को न रुलाना,
मेरी कब्र पे आकर कभी आंसू न बहाना.

 

 

आशा करता हूँ की आपको मेरी ये ग़ज़ल पसंद आई होगी.बहुत जल्द एक नयी ग़ज़ल के साथ फिर आऊंगा.

आपका

 

 

 

 

आकाश तिवारी


आप सभी से अनुरोध है की मेरी कविताओं का इस्तेमाल अपने नाम पर कभी न करे क्योंकि ये कवितायेँ सिर्फ मेरी है और रजिस्टर्ड है

 

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