- 94 Posts
- 1979 Comments
आज फिर मैंने सोचा कुछ सच्चाई जो मेरे साथ बीती उसे जागरण मंच पर आप सब से साझा करूँ..मै सदैव वो ही लिखता हूँ जो सच्चाई के सबसे ज्यादा करीब या फिर सच्चाई होती है…
अभी मै 18 मार्च को अपनी संगम नगरी से भोलेबाबा की नगरी बनारस गया..मै स्वभाव से एक लेखक और रचनाकार होने के कारण सदैव सभी यात्रायें अकेले ही करना पसंद करता हूँ क्यूंकि मै अकेले में ही शान्ति ढूँढने की कोशिश करता हूँ…मैंने ट्रेन में रास्ते में लोगों को भगवान् शंकर के विषय में तरह तरह की बातें करते देखा लोगों की जिज्ञासा और जल्दी पहुंचकर दर्शन करने की ललक ने मुझे अनायास ही बहुत खुश किया क्यूंकि आज जब दुनिया भौतिकवादी होती जा रही है,लोगों की ऐसी आस्था देखते ही बनती है..स्टेशन पहुंचकर जब मै बाहर निकला तो तन-बदन में पता नहीं कैसी चुस्ती और स्फूर्ति दौड़ पड़ी फिर ये महसूस हुआ की वाकई आज भी ईश्वर है ..क्यूंकि लंगड़ा जो दो कदम नहीं चल सकता वो मीलों चलता है..शरीर में तमाम व्याधियों के बावजूद लोगों के अन्दर अनायास ही एक शक्ति आ जाती है, वही तो है ईश्वर की शक्ति जो लोगों को उनके दर तक जाने में मदद करती है.. तमाम नाले नालियों के पानी के मिलने के बावजूद भी संगम में और गंगा जी में नहा कर कोई बीमार नही पड़ता……बस यही सोचता हुआ..दशश्व्मेघ घाट जा पहुंचा,फिर जो हुआ वो काफी रोचक था..घाट पर नाव वालों ने तो नाक में दम ही कर दिया..गंगा माता के दर्शन घूम के कीजिये…गंगा जी के बीच में नहाइए..वगैरह वगैरह…और दाम सुनकर तो ऐसा पसीना आता है की नहाने की जरूरत ही नही पड़ती..
खैर इनसब से पीछा छुड़ाते हुए जब मै गंगा जी में डुबकी लगाने लगा तो कई कैमरे वाले सामने खड़े हो कर फोटो खीचने लगे पहले तो मुझे लगा की ये क्या अभी तो मै कोई मशहूर लेखक भी नहीं बना फिर ये सब कैसे और शर्मीला होने के कारण पूरे शरीर को गंगा माता के अन्दर समाहित करके केवल गर्दन बाहर निकाल कर इन सबको देख रहा था..तभी एक आवाज आई…भाई साहब बहुत अच्छी फोटो आ रही है आपकी कहिये तो 2 मिनट में बना दूँ सिर्फ 30 रूपये में..तब मुझे समझ आया की ये मेरी पब्लिकसिटी नहीं बल्कि ये प्रोफेसनल कैमरे वाले है..दिल टूट गया मेरा..फिर मैंने बोला भाई साहब फोटो तो खिचवा लूँगा पहले नहा लेने दो..मुझे नंगा होकर फोटो खिचवाने में बड़ी शर्म आती है..फिर क्या था मेरी बाते सुनकर पूरा घाट ठहाकों से गूँज गया..जैसे तैसे करके नहाया फिर जब चन्दन लगाने की बात आई तो पंडा महराज चालू हो गए अपने मन्त्रों के साथ तभी मैंने उन्हें रुकने को बोला और पूंछा भैया सीधा बताओ ये सब करने का कितना लोगे तो उन्होंने कहा महाराज आपकी जितनी इच्छा हो इक्यावन एक सौ एक..मैंने कहा भईया आप रहने दो मुझे तो सारे मन्त्र आते है बस आपके चन्दन का पैसा दे सकता हूँ..फिर जैसे तैसे वो पंडा जी ग्यारह रूपये पर आ गए…और मै फिर आगे बढ़ा….और मन्दिर के रास्ते में जैसे ही प्रवेश किया लोगों ने मेरा बैग अपनी ओर खीचना शुरू कर दिया..भईया बैग मन्दिर में नही जाएगा यही रख दीजिये टोकन ले लीजिये प्रशाद ले लीजिये…आराम से दर्शन कीजिये…ये घाटे का सौदा नहीं था बस 20 रूपये का सामान 101 रूपये में लेकर मै जैसे ही मंदिर के मुख्य द्वार से जुडी लाइन में लगा तब वो हुआ जिसकी मुझे कल्पना थी पर विश्वास नहीं था पंडा और पंडितों के हुजूम ने तो ऐसा काम किया जैसे भगवान् को ही खरीद लिया हो….बहुत देर तक मै इनसब से परेशान था…मै ही क्या लाइन में लगा हर एक शख्स बहुत परेशान था मगर संकोचवश कुछ कह नही पा रहा था..तभी एक पंडित जी जिनकी उम्र लगभग 60 साल थी मुझसे बोले बेटा पहली बार दर्शन करने आये हो क्या मैंने बोला जी हाँ…उन्होंने अगला सवाल किया क्या आप नहीं चाहते की भगवान का अच्छे से दर्शन करें.मैंने बोला बिल्कुल इतनी दूर से दर्शन करने ही तो यहाँ आया हूँ और अगर दर्शन अच्छे से हो जाए तो क्या बात है….तभी पंडित जी ने बोला अगर आप मेरे साथ भगवान् के दर्शन करेंगे तो बहुत अच्छे से होगा वो भी सिर्फ 100 रूपये में 10 मिनट.एक मिनट के लिए मेरे दिमाग में मोबाइल कम्पनी की स्कीम दौड़ गयी..भक्ति गाना 3 /मिनट,भविष्य जानिये 5 /मिनट…और आज “भगवान 10 रूपये प्रति मिनट” क्या बात है..फिर मैंने पंडित जी को बोला..नहीं पंडित जी मै ऐसे ही दर्शन कर लूँगा….तभी वो भड़क गए और बोलने लगे आजकल लोग पुण्य के काम में पैसा नही खर्चा कर सकते मुझसे बोलते है बेटा पुण्य का काम है अच्छे से दर्शन कर लो..मैंने उन्हें जवाब दिया…पंडित जी आप मुझसे उम्र में बहुत बड़े है मै आपको जवाब नही देना चाहता था मगर आपने ऐसी बात बोल दी की मुझे जवाब देना ही पड़ेगा पुण्य तो आपको करना चाहिए था निःस्वार्थ दर्शन कराकर आप पैसा लेकर क्यूँ पुण्य गँवा रहे है आप भी पैसा ना लेकर ऐसे ही दर्शन कराइए और पुण्य कमाइए…रही हमारी बात तो हम इतनी दूर से आये है और लाइन में लगकर 1 मिनट दर्शन करके जो पुण्य पा जांएगे वो आपको पैसा देकर नही….आपने तो भगवान को दुकान बना लिया…….इतना सुनकर वहा लोगों ने जब तालियाँ बजाई तो पंडित जी अंतर्ध्यान हो गए….
फिर उसके बाद दर्शन करके मै बाहर निकला और बस पकडकर रात को अपने घर आ गया…
बस में बैठे-बैठे मै बनारस में बिताये हुए दिन को याद करने लगा की किस तरह आजके वक्त में आस्था और विश्वास का सौदा होने लगा है..किस तरह लोग भगवान की आड़ में अपनी रोटी सेक रहे है..भगवान को व्यवसाय का जरिया बना लिया है..कदम -कदम पर भगवान के नाम पर पैसे मांगे जा रहे थे..कोई स्नान करने का पैसा ले रहा है,कोई चन्दन लगाने का पैसा ले रहा है.हर इंसान जो आजके वक्त में बेरोजगार है उसने भगवान के दरबार में अपनी दुकान लगा ली है…सबकुछ तो ठीक था किन्तु जब बात “भगवान 10 रूपये प्रति मिनट” की आई तो क्रोध अनायास ही आ गया..की हममे से कुछ ऐसे भी लोग है जो बहुत गरीब है और पैसे जोडकर किसी तरह दर्शन करने जाते है वो भगवान के दिव्य दर्शन से मरहूम रह जाते है और 100 रूपये देने वाले आराम से बिना लाइन में लगे भगवान के दर्शन करते है…ऐसा नही है की इसमें मन्दिर प्रशाशन का हाँथ नही होता सब मिलकर इस तरह का काम करते है और भगवान का सौदा करते है…परन्तु मै 100 रूपये देकर दर्शन करने वालों को बता देना चाहता हु…ईश्वर केवल सच्ची श्रद्धा में विश्वास रखते है उन्हें ऐसे लोग बिल्कुल नही पसंद जो पैसे के दम पर दूसरों का हक़ मारते हों……और एक बात…
……God not for sell……
आकाश तिवारी
Read Comments