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अब बलात्कार नहीं करूँगा …..

बेवफ़ाई
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क्या कोई समस्या है जो बलात्कार से बड़ी है तो जवाब मिलेगा हां..आतंकवाद…किसी देश के लिए सबसे गम्भीर समस्या होती है देश को बाहरी खतरों से बचाना बाद में घर की समस्या हल की जायेगी..जिस देश में अफजल जैसे आतंकवादी को लेकर इतनी उठा पटक हो उस देश से किसी अपराध पर कोई बड़ी कार्यवाही की आशा करना सपने का सच होने जैसा है..

यदि मान लिया जाय की बलात्कार पर पूरी दुनिया से ज्यादा और खतरनाक बहुत ही कठोर दंड बना भी दिया जाए तो दंड तो तब मिलेगा न जब वो बलात्कारी अपराधी घोषित हो..आज इस देश में ऐसे न जाने कितने मामले है जिसमे गुनाह करने वाला अपराधी ही घोषित नहीं हो पाता..ये तो बलात्कार जैसी नाजुक घटना है जिसमे हमारे देश की लाज और हया वाली स्त्री पर हमला होता है…हमारे देश की नारिया वो सारे जुल्मों को सहकर जीना सीखती है..ज्यादा खुलकर न बोलना इनकी प्रकृति होती है आज हमारा देश या फिर हमारे देश की स्त्रियाँ भले ही बहुत माडर्न हो गयी हो..मगर आज भी लड़कियां अपने घर में सबसे खुलकर बात नहीं कर सकती …ऐसे में क्या उम्मीद करे की जिस लड़की साथ बलात्कार होगा वो रोज-रोज कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाएगी..वकीलों के बेहूदा सवालों का जवाब देगी ऐसे सवाल जो बलात्कार की घटना से कई गुना तकलीफ देंगे..और तो और इस देश में कितनों को न्याय की उम्मीद है जागरण वालों को पोल या सर्वे कराकर पता कर लेना चाहिए शायद ही १०% प्रतिशत लोगों को भारत की न्याय प्रणाली पर विश्वास होगा….

यदि इस देश की न्याय प्रणाली शसक्त होती तो कोई भी व्यक्ति गुनाह करने से पहले १०० बार सोचता…अभी मै कुछ दिनों पहले न्यूज़ देख रहा था तो उसमे किसी देश की घटना का जिक्र हो रहा था जिसमे एक व्यक्ति ने एक स्त्री पर तेज़ाब फेका था जिसकी वजह से उस स्त्री की आँख चली गयी..तो वहा पर उस अपराधी को जैसे को तैसा का फैसला सुनाया गया है और तेज़ाब के द्वारा उसकी आँखों को फोड़ने का फैसला दिया गया है..मै विस्तार में तो नहीं बता सकता ..तो जरा सोचिये की क्या अब उस देश का कोई भी व्यक्ति तेज़ाब उठाने से पहले उस घटना को याद नहीं करेगा….यदि कानून बनाना है तो जल्दी न्याय मिलने का कानून बनाना चाहिए पहले बलात्कार का केस तो जल्दी खत्म हो बाद में सजा पर भी विचार हो जायेगा…… मै ज्यादा दूर और गहराई में नहीं जाना चाहता मुझे पता है की मेरा ये लेख कुछ स्त्रियाँ भी पढ़ेंगी इस लिए बलात्कार के समय और बलात्कार के बाद स्त्रिओं की मनोदशा और हालत पर लिखकर उनके दिलों को चोट नहीं पहुँचाना चाहता सबको पता है की जब किसी के साथ जुल्म होता है तो क्या बीतती है..मुझे किसी के दिल को दुखाकर अपने लेख को मसालेदार भी नहीं बनाना बस मुद्दा बहुत गम्भीर है तो मुद्दे की हो बात लिखूंगा….अभी एक साल पहले फिल्म अभनेता शाइनी आहूजा जिनपर उनकी नौकरानी ने बलात्कार का आरोप लगाया और बाकायदा गवाही भी दी और बलात्कार की पुष्टि भी हुई…मगर क्या हुआ ये आपसब प्रबुद्ध जनों के सामने है नौकरानी ने बलात्कार का खंडन कर दिया और शाहिनी आहूजा फिर से जेल से बाहर हो गए मैंने अपने इस पोस्ट में इस घटना का जिक्र सिर्फ इसलिए किया की ये एक हाई प्रोफाइल मामला था क्या आपसबको इस घटना का फैसला सुनाई दिया..नहीं? बल्कि सभी को आश्चर्य हुआ होगा की ये क्या हुआ….तो जब तक किसी मामले पर जल्द से जल्द फैसला नहीं होगा कड़ी सजा के बारे में सोचना ही बेकार है..हमारे देश की न्यायपालिका को चाहिए की कुछ ऐसी व्यवस्था करे की बलात्कार की घटना पर फैसला २-४-१० सुनवाई में आ जाये……….और तत्काल फैसला भी दे दिया जाये..

इस समस्या का एक पहलु और है वो है बलात्कार की घटना में स्त्री पक्ष कमजोर और असहाय होती है और बदनामी के डर से चुप रहती है इसलिए ये घटनाए दिन पर दिन बढती ही जा रही है लेकिन स्त्रियों के पीछे हटने के पीछे भी हमारे देश की अविश्वश्नीय कानून व्यवस्था है स्त्रियाँ भी जानती है की न्याय तो मिलेगा ही नहीं बस बदनामी ही मिलेगी इसलिए स्त्रियों के पैर आगे बढ़ने से रुक जाते है..सबसे पहले हमारे देश की न्याय व्यवश्ता को लोगों का विश्वाश जीतना होगा तभी कुछ हो सकता है…

मेरे विचार से तो एक बलात्कारी अपने जिस अंग की हरकतों की वजह से ऐसा घिनौना काम करता है उसके वो अंग को तेज़ाब से जला कर और काट कर पूरी जिंदगी एक अँधेरी कोठरी में रखना चाहिए और पूरी कोठरी को अश्लील साहित्य और अश्लील वीडिओ से बार देना चाहिए….इससे अच्छा और सटीक सजा मेरी नजर में और कोई नहीं है..मौत की सजा तो बहुत ही मामूली और हल्की है क्योंकि जिसके साथ बलात्कार होता है तो क्या वो मर जाता है नहीं बल्कि पूरी जिंदगी उसी घटना को याद करते हुए वो स्त्री पल-पल मरती है…ठीक वैसे ही उस बलात्कारी को पूरी जिंदगी नपुंसक बनाकर एक काल कोठरी का जीवन देना चाहिए…..फिर वो बलात्कारी यही कहेगा….अब बलात्कार नहीं करूँगा……

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एक अकेला

आकाश तिवारी

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