- 94 Posts
- 1979 Comments
===============================
बदला था किसी ने फिर मै बदल चुका हूँ,
सवार हो अपनी कश्ती पर फिर मै निकल चुका हूँ,
आगाज़ तो कर दिया है अभी अंजाम बाकी है.
दुनिया के पत्थरों पर लिखना अभी “आकाश’ बाकी है……
To be continued….
======================================
अरसा गुजर गया निरंतर जागरण पर ब्लॉगिंग किये हुए..सच कहूं तो लिखने कि समझ रखने वाले और लिखे हुए को पढ़कर समझने वालो का कही जमावड़ा है तो वो सिर्फ और सिर्फ जागरण जंक्शन पर ही है,…ऐसा मै इसलिए नहीं कह रहा कि जागरण वालों का प्रिय बन जाउ बल्कि सच बोलने कि जो आदत है उसे छोड़ना नही चाहता…बस लगातार कुछ समय से प्रयासरत हूँ कि निरंतर लिखू मगर शायद किस्मत को ये मंजूर नहीं..मगर जैसा कि आप सब को पता है कि मेरे जीवन में गम का जो दरिया है वो कभी सूखने वाला नहीं है अब वो दरिया उफान पर है ..किस्मत ने ऐसा झकझोड़ दिया है कि मुझे मेरे उन लोगो कि तलाश है जो मेरे गम को मेरी लेखनी से समझ सके..मै अपने दर्द को अपनी कलम से ही बयां करना पसंद करता हु और वही करता रहूँगा..मुझे आज इलाहबाद छोड़े हुए पूरे 21 महीने हो चुके है और अब मै वापस उसी शहर में खुशियों कि तलाश में लौट रहा हूँ और पूरी उम्मीद है कि बस पहुँचते ही दुबारा वही कलम होगी और वही आपका साथ …..बस कुछ दिन और फिर जागरण पर एक बार फिर अपनों के पास लौटकर आउंगा..
एक बार फिर से जागरण परिवार को बहुत-बहुत धन्यवाद जो ऐसे मंच को प्रस्तुत किया जहा हम अपनी ज़िन्दगी लिख सकते है..
=आकाश तिवारी=
Read Comments