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अश्क …गज़ल

बेवफ़ाई
बेवफ़ाई
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हाल ही में मै दिल्ली के सफ़र पर था..वहा मेरी मित्रता एक ऐसे इंसान से हुई जो जीने कि चाह खो चुका था न कोई ख़ुशी न कोई गम …बस बहुत जल्द उसकी पूरी कहानी आपसे साझा करूँगा अभी उसकी मनोस्थिति पर मेरी एक छोटी सी रचना पेश कर रहा हूँ जो मैंने उससे मिलने के बाद लिखी थी……
अश्कों को समेटूंगा निगाहों में,
भूलके न आउंगा तेरी राहों में,
मिट जाए हस्ती भले एक दिन मेरी,
तेरा ही नाम सजाऊंगा सितारों में..
ठोकर खाऊं भले आज मै राहों में,
डूब जाए कश्ती बेशक मेरी किनारों में,
तेरा ही नाम लेंगी ये साँसे मेरी,
भले न गिने तू मुझे हजारों में..
फिरता रहूँ मै दुनिया के मजारों में,
मंदिर-मंदिर और गुरुद्वारों में,
तेरी ही ख़ुशी कि दुआ करूँगा,
भले बदनाम फिरुँ मै बाजारों में..
चुना जाऊं अगर मै दीवारों में,
तड़पता भी रहूँ जो मै दरारों में,
तेरे हर दर्द को अपनाकर मारूंगा,
भले जलाये तू मेरी यादों को अंगारों में..
=आकाश तिवारी=

हाल ही में मै दिल्ली के सफ़र पर था..वहा मेरी मित्रता एक ऐसे इंसान से हुई जो जीने कि चाह खो चुका था न कोई ख़ुशी न कोई गम …बस बहुत जल्द उसकी पूरी कहानी आपसे साझा करूँगा अभी उसकी मनोस्थिति पर मेरी एक छोटी सी रचना पेश कर रहा हूँ जो मैंने उससे मिलने के बाद लिखी थी……


My Wordsअश्कों को समेटूंगा निगाहों में,

भूलके न आउंगा तेरी राहों में,

मिट जाए हस्ती भले एक दिन मेरी,

तेरा ही नाम सजाऊंगा सितारों में..



ठोकर खाऊं भले आज मै राहों में,

डूब जाए कश्ती बेशक मेरी किनारों में,

तेरा ही नाम लेंगी ये साँसे मेरी,

भले न गिने तू मुझे हजारों में..



फिरता रहूँ मै दुनिया के मजारों में,

मंदिर-मंदिर और गुरुद्वारों में,

तेरी ही ख़ुशी कि दुआ करूँगा,

भले बदनाम फिरुँ मै बाजारों में..



चुना जाऊं अगर मै दीवारों में,

तड़पता भी रहूँ जो मै दरारों में,

तेरे हर दर्द को अपनाकर मारूंगा,

भले जलाये तू मेरी यादों को अंगारों में..

=आकाश तिवारी=

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