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बदस्तूर कोशिशे आज भी है उन्हेंभूल जाने की,
थी ख्वाहिश जिनकी हमें मिटटी में मिलाने की,
मुहब्बत का ये फ़साना था अनोखा बहुत.
फिर भी यादे मिटती नही दिन बीते बहुत,
तमन्ना आज भी है इस दिल के हर दर्द को शब्दों में उकेरने की…
=आकाश तिवारी=
बदस्तूर कोशिशे आज भी है उन्हें भूल जाने की,
थी ख्वाहिश जिनकी हमें मिटटी में मिलाने की,
मुहब्बत का ये फ़साना था अनोखा बहुत.
फिर भी यादे मिटती नही दिन बीते बहुत…
ज़माने को छोरकर मुहब्बत उसने हमी से तो की थी,
हमने भी तो खुशियों की कोई कमी न की थी,
सवाल हजार छोरकर इस दिल में वो गए बहुत.
फिर भी यादे मिटती नही दिन बीते बहुत…
मिटा दिए हमने उनकी यादों के हर एक पल को,
बची है बस ये साँसे कैसे रोकू अब इनको,
जीवन जीने की मेरी मजबूरिया है बहुत.
फिर भी यादे मिटती नही दिन बीते बहुत…
जो तड़पकर रोया कभी तो आंसू भी रोते है मेरे,
तेरे खातिर इस दिल में बहुत जज़्बात है मेरे ,
मेरे आंसू ही मुझसे अब प्यार करते है बहुत.
फिर भी यादे मिटती नही दिन बीते बहुत…
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The End
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